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भारत की इकलौती ट्रेन, जिसमें टिकट की जरूरत नहीं, फ्री में करते हैं लोग सफर

Free Train Journey: क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी अनोखी ट्रेन भी है, जिसमें सफर करने के लिए टिकट की जरूरत नहीं होती? यह ट्रेन बिना किसी किराए के यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। आखिर क्यों इस ट्रेन में टिकट नहीं लगता और यह कहां चलती है? आइए जानते हैं।
04:06 PM Jan 30, 2025 IST | Ashutosh Ojha
भारत की इकलौती ट्रेन  जिसमें टिकट की जरूरत नहीं  फ्री में करते हैं लोग सफर
Bhakra Nangal Train

Free Train Journey: क्या आप सोच सकते हैं कि भारत में एक ऐसी ट्रेन भी है जिसमें सफर करने के लिए कोई टिकट नहीं लेना पड़ता? जहां भारतीय रेलवे की हर ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करना जुर्म है, वहीं यह अनोखी ट्रेन पिछले 75 सालों से बिल्कुल मुफ्त चलाई जा रही है। आखिर क्यों? कौन इसे चलाता है और ये कब तक यूं ही चलती रहेगी? यह ट्रेन सिर्फ एक सफर नहीं, बल्कि इतिहास की धरोहर है। आइए जानते हैं इस ट्रेन की पूरी कहानी, जो आज भी बिना टिकट यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचा रही है।

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Bhakra Nangal Train

ट्रेन का क्या नाम है

दुनिया में सफर करने के लिए टिकट लेना जरूरी होता है, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि एक ट्रेन ऐसी भी है जिसमें बिना टिकट लिए सफर किया जा सकता है? भारत में एक अनोखी ट्रेन है जो पिछले 75 सालों से यात्रियों को मुफ्त में सफर करवा रही है। यह ट्रेन है भाखड़ा-नांगल ट्रेन, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जानी जाती है। यह ट्रेन 1948 में शुरू हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण में काम कर रहे मजदूरों और निर्माण सामग्री को लाना-ले जाना था। आज भी यह ट्रेन बिना किसी किराए के अपनी यात्रा जारी रखे हुए है।

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Bhakra Nangal Train

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इस ट्रेन का रूट क्या है

भाखड़ा-नांगल ट्रेन पंजाब के नांगल और हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा के बीच 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह यात्रा बेहद खास होती है क्योंकि रास्ते में यह ट्रेन सतलुज नदी और शिवालिक पहाड़ियों के सुंदर नजारों से होकर गुजरती है। इस रूट पर कुल छह स्टेशन और तीन सुरंगें पड़ती हैं। हर दिन करीब 800 यात्री इस ट्रेन में सफर करते हैं, जिनमें स्थानीय लोग और पर्यटक शामिल होते हैं। भारतीय रेलवे की अन्य ट्रेनों के विपरीत, यह ट्रेन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा संचालित की जाती है। इस ट्रेन को बिना किराए के चलाने का फैसला बोर्ड द्वारा लिया गया था ताकि देश के औद्योगिक इतिहास की इस धरोहर को संजोया जा सके।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा संचालन

इस ट्रेन की एक खासियत यह भी है कि शुरुआत में इसे स्टीम इंजन द्वारा चलाया जाता था, लेकिन 1953 में इसे डीजल इंजन में अपग्रेड किया गया। ट्रेन के कोच भी ऐतिहासिक महत्व रखते हैं क्योंकि ये विभाजन से पहले कराची में बनाए गए लकड़ी के डिब्बे हैं। इन पुराने कोचों को आज भी अच्छी तरह से संभालकर रखा गया है, जिससे यह ट्रेन यात्रियों को पुराने समय की याद दिलाती है। हालांकि, इस ट्रेन को चलाने में हर घंटे 18-20 लीटर ईंधन की जरूरत होती है, फिर भी BBMB इसे बिना किराए के चलाने की परंपरा को बनाए हुए है।

ट्रेन का ऐतिहासिक महत्व

भाखड़ा-नांगल ट्रेन केवल एक यात्रा का साधन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी है। आधुनिक दौर में जहां हर चीज का व्यवसायीकरण हो चुका है, वहां यह ट्रेन मुफ्त यात्रा की अनूठी परंपरा को निभा रही है। स्थानीय लोगों के लिए यह ट्रेन सिर्फ सफर का जरिया नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही एक विरासत है। यह ट्रेन भारत की औद्योगिक क्रांति और आजादी के बाद की प्रगति का प्रतीक है, जिसे आज भी सहेजकर रखा गया है।

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