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Bharatiya Nyaya Sanhita: किन अपराधों में सुनाई जा सकेगी समाजसेवा की सजा? 1 जुलाई से नई व्यवस्था

Community Service As Punishment: नई भारतीय न्याय संहिता में कुछ छोटे-मोटे अपराधों में और पहली बार के अपराधियों के लिए सजा के तौर पर समाज सेवा को भी जोड़ा गया है। यह नई व्यवस्था 1 जुलाई से आईपीसी की जगह लेने जा रही है। इस रिपोर्ट में जानिए उन अपराधों के बारे में जिनमें अदालत के सामने दोषी को समाज सेवा करने की सजा सुनाने का ऑप्शन भी होगा।
04:57 PM Jun 21, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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What Is Bharatiya Nyaya Sanhita : साल 1860 की भारतीय दंड संहिता यानी IPC पिछले 150 साल से ज्यादा समय से भारत में आपराधिक कानून की आधारशिला रही है। अंग्रेजों के जमाने में तैयार की गई इस संहिता में समय के साथ कई संशोधन हुए, लेकिन अभी भी इसका मूल ढांचा और फिलॉसफी इसमें बरकरार है। जैसे-जैसे भारत ने तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक विकास की यात्रा तय की है, आईपीसी की लिमिटेशंस उसी रफ्तार से स्पष्ट हुई हैं। इसीलिए केंद्र सरकार भारतीय न्याय संहिता लेकर आई है। इसके तहत नए नियम 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे। केंद्र सरकार के अनुसार समय के साथ व्यवस्था में भी सुधार होना चाहिए। इसीलिए आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता को लाया जा रहा है।

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भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं शामिल की गई हैं। जबकि आईपीसी में 511 धाराएं हैं। आईपीसी की कई धाराओं को हटा दिया गया है तो कई में संशोधन किए गए हैं। इसके अलावा कई नई धाराओं को भी जोड़ा गया है। इसमें सबसे अहम बदलावों में से एक है सजा के तौर पर समाज सेवा यानी कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा जाना। यह कदम उठाए जाने के पीछे का कारण छोटे-मोटे अपराधों में लोगों को जेल न भेजने के लिए और जेल में कैदियों की संख्या कम करने की कोशिश बताया जा रहा है। इसके अलावा इससे लोगों में समाज को लेकर सकारात्मक भावना जन्म लेगी। इसीलिए समाज सेवा को सजा के तौर पर शामिल किया गया है। आगे जानिए किन अपराधों में दोषी के पास समाज सेवा कर राहत पाने का ऑप्शन होगा।

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इन अपराधों में कम्युनिटी सर्विस की सजा

बता दें कि नई भारतीय न्याय संहिता की धारा 4(एफ) में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का उल्लेख किया गया है। इसके तहत छोटे-मोटे अपराधों में दोषी पाए जाने वाले लोगों को जेल भेजने के स्थान पर समाज सेवा करने की सजा सुनाए जाने का विकल्प होगा। समाज सेवा की सजा आत्महत्या की कोशिश, सरकारी काम में बाधा डालना, नशे में बवाल करना और मानहानि जैसे अपराधों में दोषियों को समाज सेवा करने का आदेश जारी किया जा सकता है। इनमें एनजीओ के लिए काम, साफ-सफाई, कचरा उठाना जैसे काम शामिल होंगे। छोटी-मोटी चोरी में भी ऐसा ही होगा। अगर कोई व्यक्ति पहली बार चोरी करता पकड़ा जाता है और चोरी 5000 रुपये से कम की है तो उसे भी समाज सेवा करने की सजा सुनाई जा सकती है।

यदि जुर्माना नहीं भरा तो करनी होगी सेवा

नई व्यवस्था के अनुसार अगर किसी अपराध में जुर्माना या कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान है तो जुर्माना अदा न करने पर समाज सेवा करनी होगी। उदाहरण के तौर पर अगर जुर्माना 5000 रुपये का है तो 2 महीने कम्युनिटी सर्विस करनी होगी। अगर जुर्माना 10,000 रुपये का है तो यह अवधि 4 महीने हो जाएगी। कुछ मामलों में एक साल की समाज सेवा का प्रावधान भी है। इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता में नकली नोट रखने को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है। हालांकि, नकली नोट चलाने की कोशिश करते पकड़े जाने पर सजा और सख्त कर दी गई है। इसकी धारा 180 के अनुसार अगर कोई नकली नोट चलाने की कोशिश करता है तो दोषी पाए जाने पर 7 साल कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

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