होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

मेरी मां खो गई है, कोई उनका पता बता दे, एक बार गले लगाना है; रुला देगी विदेश से मां को तलाशने आई महिला की कहानी

Biological Mother Search Operation: स्वीडन से एक महिला अपनी बॉयोलॉजिकल मां को तलाशने के लिए भारत आई है। उसने नागपुर का एक-एक कोना खंगाल लिया। सभी सरकारी रिकॉर्ड देख लिए, लेकिन उसने कसम खाई है कि वह अपनी मां को मिले बिना नहीं जाएगी।
07:20 AM Apr 02, 2024 IST | Khushbu Goyal
Swedish Nationalist Patricia Eriksson
Advertisement

Biological Mother Search Opertion: कोई मुझे मेरी मां का पता दे, उनसे एक बार मिला दे। मुझे उन्हें गले लगाना है। उनके सीने से लगकर चैन की नींद सोना चाहती हूं। मुझे उनसे कोई गिला शिकवा नहीं, उन्होंने मुझे छोड़ दिया, कोई बात नहीं, लेकिन उनसे मिलने की इच्छा है। यह कहना है उस महिला का, जो अपनी जैविक मां की तलाश में 7 समंदर पार से आई है।

Advertisement

41 साल की पेट्रीसिया एरिकसन स्वीडन से इंडिया आई हैं। वे अपनी मां को तलाश रही हैं, जो बिन ब्याही मां बनी थीं और फिर उन्हें बेटी को एक अनाथालय में छोड़ दिया था। उस बच्ची को स्वीडन के परिवार ने गोद लिया था और अब 40 साल बाद वह अपनी मां को ढूंढने के लिए भारत आई है। उसका कहना है कि वह अपनी मां से मिले बिना नहीं जाएगी।

यह भी पढ़ें:दिल्ली के शराब घोटाले का ‘खेल’, केजरीवाल से लेकर कविता तक कितने मंत्री-नेता गए जेल?

हर जगह सरकारी रिकॉर्ड खंगाल लिया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेट्रीसिया ने बताया कि फरवरी 1983 में उसका जन्म हुआ था, लेकिन अविवाहित मां बनी उसकी मां ने उसे एक अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। जब वह एक साल की थी तो एक स्वीडिश परिवार ने उसे गोद लिया और वह स्वीडन चली गई। जब उसे पता चला कि उसकी बॉयोलॉजिकल मदर इंडिया में है तो वह उन्हें तलाशने आ गई।

Advertisement

वह उस अनाथ आश्रम में भी गई, जहां उसे छोड़ा गया था, लेकिन वहां उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने भारतीय नियमों के अनुसार, जहां-जहां बच्चों और उनके माता-पिता का रिकॉर्ड हो सकता है, सब जगह तलाश कर लिया, लेकिन मां का सुराग नहीं लगा। आंगनबाड़ियों, स्कूलों, पुलिस स्टेशनों और शांतिनगर के पुराने इलाकों का दौरा भी कर लिया, लेकिन शांता नहीं मिली।

यह भी पढ़ें:‘PM मोदी का अपमान बर्दाश्त नहीं’; Mamata Banerjee के नेता के बिगड़े बोल तो भाजपा के सुवेन्दु अधिकारी भड़के

अनाथ आश्रम में भी नहीं मिला सुराग

पेट्रीसिया बताती है कि उसे सिर्फ मां का नाम पता है, सोमवार को वह उनकी तलाश में रेड-लाइट डिस्ट्रिक्ट में भी गई, लेकिन वहां भी शांता नाम की महिला नहीं मिली। पेट्रीसिया कहती हैं कि वे 3 बेटों की मां हैं और मां होना क्या होता है, वह समझ सकती हैं। मैं यहां किसी को जज करने के लिए नहीं आई हूं। स्वीडिश माता-पिता की दिल से आभारी हूं, उन्होंने मेरी अच्छी परवरिश की।

मेरे पास उनकी कृतज्ञता के लिए शब्द नहीं हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि उनके पास उनकी मां या उनकी तस्वीर के बारे में प्रामाणिक डेटा होगा। पेट्रीसिया बचपन से ही अपनी मां से मिलने की चाहत रखती हैं, और अपने शहर की किसी भी सांवली औरत की देखकर वह उसके पास जाती थीं। अब उन्होंने अपने गोद लेने के दस्तावेजों की जांच शुरू की है।

यह भी पढ़ें:IPL फैन की पीट-पीट कर हत्या, Rohit Sharma के आउट होने का जश्न मनाया, 2 गुट भिड़ गए आपस में

Open in App
Advertisement
Tags :
Nagpur Newsspecial-news
Advertisement
Advertisement