वैष्णो देवी में BJP का अयोध्या जैसा न हो हाल? 15 हजार आबादी का समाज बनेगा निर्णायक
Shri Mata Vaishno Devi Seat: जम्मू और कश्मीर में परिसीमन के बाद श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट पर सभी की नजरें हैं। लोकसभा चुनाव में अयोध्या और बद्रीनाथ उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद हिंदू आस्था के केंद्र की इस सीट पर सभी की नजरें हैं। टिकटों के ऐलान के समय बीजेपी ने इस सीट से पहले रोहित दुबे को टिकट दिया था, बाद में विरोध हुआ तो बीजेपी ने बलदेव राज शर्मा को उम्मीदवार बना दिया। इस सीट पर 25 सितंबर को वोटिंग होगी, जहां बीजेपी उम्मीदवार का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह से होगा।
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बारीदार वोट बनेंगे निर्णायक
श्री माता वैष्णो देवी सीट पर बारीदार समाज का वोट निर्णायक है। ये सीट पहले रियासी विधानसभा सीट में आती थी, बारीदार उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं और कहते हैं कि श्रीधर उन्हीं के वंशज थे। मान्यता है कि माता ने श्रीधर को ही दर्शन दिया था और त्रिकुट पर्वत पर बसने की बात बताई थी। तभी से बारीदार माता की सेवा में हैं। हालांकि अपने हक अधिकार के लिए बारीदार लगातार आवाज उठा रहे हैं।
1986 में 30 अगस्त की रात को बारीदारों को गुफा से बाहर कर दिया गया और सभी अधिकार श्राइन बोर्ड को दे दिए गए। बारीदारों की मांग है कि चढ़ावे का एक हिस्सा बारीदारों को दिया जाए। साथ ही बारीदारों को श्राइन के अस्पताल और कॉलेज में नौकरी दी जाए। बारीदारों की नाराजगी इस बात पर भी है कि 2014 में उधमपुर की रैली में नरेंद्र मोदी ने बारीदारों की बात की थी, लेकिन उनके हक और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं हुआ।
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किधर जाएगा बारीदार वोट
श्री माता वैष्णो देवी सीट पर बारीदार समाज की आबादी 15 हजार है। बारीदार समाज का भोमांग, कटरा और पंथाल क्षेत्र में अच्छा दबदबा है। बारीदार संघर्ष समिति ने अध्यक्ष श्याम सिंह को निर्दलीय मैदान में उतारा है। हालांकि बारीदार सेवा समिति उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं मानती। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटरा में रैली की और बारीदारों के हक और अधिकार की बात की।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बारीदार समाज के जो पुराने मुद्दे हैं, उन्हें मैं जानता और समझता हूं। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने बारीदार समाज के बच्चों की बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप शुरू करवाई। समाज के युवाओं को 9 करोड़ रुपये से ज्यादा की स्कॉलरशिप दी गई। बेटियों की शादी के लिए मदद दी गई। पीएम ने कहा कि बारीदार समाज के मुद्दों को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
बीजेपी के सामने निर्दलीय की चुनौती
इस सीट से पूर्व मंत्री जुगल किशोर शर्मा निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह 2008 के चुनाव में निर्दलीय लड़े थे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा देखने को मिलता रहा है। हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा को कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले 13,775 वोट ज्यादा मिले थे। शर्मा को जहां 27,838 वोट मिले, वहीं रमना भल्ला को 14,063 वोट हासिल हुए।
2014 के चुनाव में बीजेपी के अजय नंदा को 22,017 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय सर्राफ सिंह को 20,130 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार जुगल किशोर 18,929 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।