Explainer: कैबिनेट और राज्य मंत्री में क्या होता है अंतर, सांसद से कितनी ज्यादा सैलरी?
Difference Between Cabinet And State Minister: नरेंद्र मोदी ने रविवार को लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उनकी अगुवाई में एनडीए एक के बाद एक अपनी तीसरी बारी खेलने के लिए तैयार है। नरेंद्र मोदी के साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ले ली है। बता दें कि 2014 और 2019 की तुलना में इस बार का मंत्रिमंडल सबसे बड़ा है। 2014 में जहां 46 सांसद मंत्री बने थे वहीं, 2019 में यह संख्या 59 थी। इस बार शपथ लेने वाले सांसदों में 30 कैबिनेट मंत्री हैं, 5 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं और 36 राज्य मंत्री हैं। इस रिपोर्ट में जानिए आखिर इनमें में क्या अंतर होता है, और ये एक दूसरे से कैसे अलग हैं।
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As #Modi 3.0 begins 😍
let us all
Acknowledge we did not give him the majority he deserved.
&
Let us also take oath to give him the support he needs
to make the big necessary changes
even with the reduced numbers !!
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I pledge 🫡
Raise ur hands if u do too !! pic.twitter.com/0Iax0Q6VR9— Wondering Woman 🇮🇳(Modiji Ka Parivaar) (@indiclogic) June 9, 2024
संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल का गठन करता है। मंत्रिमंडल यानी कैबिनेट में 3 प्रकार के मंत्री होते हैं- कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्री। इनमें सबसे ज्यादा शक्ति कैबिनेट मंत्रियों के पास होती है। इसके बाद राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और फिर राज्य मंत्री आते हैं। बता दें कि संविधान के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम 81 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। संविधान में किए गए 91वें संशोधन के अनुसार कुल लोकसभा सदस्यों के 15 प्रतिशत को कैबिनेट का हिस्सा बनाया जा सकता है। चूंकि लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 है, ऐसे में 81 मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाया जा सकता है।
जानिए तीनों पदों में आखिर अंतर क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल का गठन करता है। मंत्रिमंडल यानी कैबिनेट में 3 प्रकार के मंत्री होते हैं- कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्री। इनमें सबसे ज्यादा शक्ति कैबिनेट मंत्रियों के पास होती है। इसके बाद राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और फिर राज्य मंत्री आते हैं। बता दें कि संविधान के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम 81 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। संविधान में किए गए 91वें संशोधन के अनुसार कुल लोकसभा सदस्यों के 15 प्रतिशत को कैबिनेट का हिस्सा बनाया जा सकता है। चूंकि लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 है, ऐसे में 81 मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाया जा सकता है।
सैलरी और भत्तों में आता है कितना अंतर?
जिन सांसदों को कैबिनेट में जगह मिलती है उन्हें हर माह बाकी सांसदों के मुकाबले अलग से भत्ता भी मिलता है। बता दें कि सैलरी एक्ट के तहत लोकसभा संसद को हर माह बेसिक वेतन के रूप में एक लाख रुपये की राशि दी जाती है। इसके अलावा निर्वाचन भत्ते के लिए 70 हजार रुपये और ऑफिस खर्च के लिए 60 हजार रुपये की राशि अलग से मिलती है। साथ ही, जब संसद का सत्र चल रहा होता है तो उन्हें डेली अलाउंस के रूप में 2000 रुपये रोज मिलते हैं। कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को हर महीने सत्कार भत्ता मिलता है। इसके तहत पीएम को 3000, कैबिनेट मंत्री को 2000, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को 1000 और राज्य मंत्री को 600 रुपये दिए जाते हैं।
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