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चेन्नई में 'ब्रेकिंग बैड': एक गोल्ड मेडलिस्ट, 7 कैमिस्ट्री स्टूडेंट्स और नशीली दवा का कारोबार, ड्रग सिंडीकेट का ऐसे हुआ भंड़ाफोड़

Chennai Breaking Bad: चेन्नई में एक ड्रग सिंडीकेट ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं। छात्रों का ये ग्रुप जिस तरह से काम करता था, वह अमेरिकन ड्रामा सीरीज 'ब्रेकिंग बैड' से मिलता-जुलता है।
05:46 PM Oct 24, 2024 IST | Pushpendra Sharma
ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किए गए छात्र।
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Chennai Breaking Bad: साल 2008 में आई ड्रामा सीरीज 'ब्रेकिंग बैड' काफी चर्चित रही थी। अमेरिकन क्राइम ड्रामा सीरीज में दिखाया गया कि वाल्टर व्हाइट नाम का किरदार कैमिस्ट्री टीचर होता है। वह स्टेज-थ्री लंग कैंसर से जूझ रहा होता है। तभी वह अपराध की दुनिया का रास्ता चुनता है और अपने पूर्व छात्र जेसी पिंकमैन के साथ मिलकर नशीली दवा मेथामफेटामाइन का प्रोडक्शन करता है। ताकि वह परिवार के लिए पैसे कमा सके। इसी ब्रेकिंग बैड की असली कहानी चेन्नई में घटती हुई नजर आई। आइए आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है।

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मेथ बनाने वाले ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़

दरअसल, चेन्नई में पुलिस ने एक ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। जोकि प्रतिबंधित और नशीली दवा मेथामफेटामाइन बनाकर उसे बाजार तक पहुंचा रहा था। 'मेथ' को अत्यधिक नशीली दवा माना जाता है। खास बात यह है कि इस गिरोह में शामिल लोगों ने शहर में गुप्त रूप से एक लैब बनाई थी। बताया जा रहा है कि इस गिरोह का सरगना खुद कैमिस्ट्री का छात्र रहा है। उसने अपने गिरोह में कई इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को भर्ती किया था। जो कैमिस्ट्री की अच्छी खासी नॉलेज रखते थे।

गोल्ड मेडलिस्ट शामिल 

गिरफ्तार किए गए लोगों में 6 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और चेन्नई के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में कैमिस्ट्री का पीजी स्टूडेंट्स शामिल हैं। खास बात यह है कि वह एक अन्य संस्थान में बैचलर ऑफ साइंस का गोल्ड मेडलिस्ट भी था।

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कैमिस्ट्री के दूसरे स्टूडेंट्स को किया हायर 

इस ग्रुप ने अरुण कुमार नाम के एक शख्स से मेथामफेटामाइन की छोटी मात्रा लेकर नशीली दवाओं की तस्करी शुरू की थी। बाद में छात्रों ने खुद ही 'मेथ' बनाने की सोची। उन्होंने इसके बाद कैमिस्ट्री के दूसरे स्टूडेंट्स को इसमें शामिल कर लिया। फिर उन्होंने इसके लिए कुछ जरूरी रसायन खरीदे। वे देखते ही देखते 'मेथ' बनाने लगे और इसे स्टूडेंट्स तक भी पहुंचाने लगे, लेकिन उनका प्लान तब फेल हो गया, जब चेन्नई पुलिस ने इसका भंडाफोड़ कर दिया। पुलिस ने सात लोगों को नशीली दवा बेचने के मामले में गिरफ्तार किया है।

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कैफे खोलने के लिए थे पैसे  

खास बात यह है कि गिरफ्तार किए गए एक छात्र ने पेरेंट्स से कैफे खोलने के लिए पैसे लिए थे, लेकिन उसने ये पैसे नशीली दवा बनाने में लगा दिए। जब पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया, तो उन्होंने लैब पर रेड मारी। इस दौरान पुलिस ने 245 ग्राम मेथमफेटामाइन के साथ ही 7 मोबाइल फोन और 2 लैपटॉप भी बरामद कर लिए। जांच में छात्रों का इंजीनियरिंग और कैमिस्ट्री स्टूडेंट्स होने का पता चला है। पुलिस अब अरुण कुमार और कार्तिक नाम के छात्र की तलाश कर रही है।

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