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12 दिन पहले हुई पिता की मौत, अब तक नहीं दफनाया शव; सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

Chhattisgarh Christian Family Entry ban in Graveyard: छत्तीसगढ़ में एक बेटे को उसके पिता का शव दफनाने की इजाजत नहीं मिल रही है। 12 दिन से पिता के शव को संजो कर बैठे बेटे ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
04:06 PM Jan 20, 2025 IST | Sakshi Pandey
12 दिन पहले हुई पिता की मौत  अब तक नहीं दफनाया शव  सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

Chhattisgarh Christian Family Entry ban in Graveyard: छत्तीसगढ़ के छिंदवाड़ा में एक पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए बेटे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बेटे का कहना है कि गांव वाले उसके मृत पिता को दफनाने नहीं दे रहे हैं। उसके पिता के निधन को 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका शव शवगृह में पड़ा है। यह मामला छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का है। दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रमेश बघेल ने गांव के कब्रिस्तान में अपने पिता को दफनाने की इजाजत मांगी है।

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अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

रमेश बघेल ने पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वहां से निराशा हाथ लगने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया। सर्वोच्च अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है।

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भेदभाव का मामला?

मशहूर वकील प्रसाद चौहान रमेश बघेल की तरफ से कोर्ट में उनका पक्ष रख रहे हैं। प्रसाद चौहान का कहना है कि यह साफतौर पर भेदभाव का मामला है। बस्तर में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। सरकार को इसके बारे में सबकुछ पता है। इसके बावजूद राज्य में भेदभाव लगातार बढ़ रहा है।

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7 जनवरी को हुआ था निधन

बता दें कि 7 जनवरी को रमेश बघेल के पिता सुभाष बघेल का निधन हो गया था। सुभाष बघेल की आखिरी इच्छा थी कि उनके शव को परिवार के अन्य सदस्यों की कब्र के पास ही दफनाया जाए। हालांकि रमेश चाहकर भी पिता की इच्छा पूरी नहीं कर पा रहे हैं। गांव के लोगों ने सुभाष के शव को कब्रिस्तान में दफनाने पर रोक लगा दी है।

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3 दशक पहले बने थे ईसाई

दरअसल रमेश बघेल के दादा ने लगभग 3 दशक पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। छिंदवाड़ा के कब्रिस्तान में रमेश के दादा समेत कई रिश्तेदारों के शव दफन है। हालांकि अब उनके पिता का शव दफनाने की इजाजत उन्हें नहीं मिल रही है।

रमेश बघेल ने क्या कहा?

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान रमेश बघेल ने कहा कि मेरे पिता की आखिरी इच्छा थी कि निधन के बाद उनके शव को परिजनों की क्रब के पास ही दफनाया जाए। 2 साल पहले तक सबकुछ शांति से चल रहा था। मगर अब हमारे गांव के लोगों ने ईसाई धर्म को बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि धर्म बदलने की वजह से वो हमें कब्रिस्तान में जाने की अनुमति नहीं देंगे।

हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि छिंदवाड़ा में कुछ ही दूरी पर ईसाई धर्म का कब्रिस्तान मौजूद है, जहां याचिकाकर्ता ईसाई धर्म के अनुसार अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकता है। हालांकि गांव में जबरन दफनाने से समाज में बड़े पैमाने पर अशांति उत्तपन्न हो सकती है।

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