'वन नेशन वन इलेक्शन' पर राजीव शुक्ला बोले- प्रैक्टिकल नहीं है ये प्रस्ताव
Rajeev Shukla Reaction on One Nation One Election (रमन झा): वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। एक देश एक चुनाव के बिल को मोदी कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी। बिल को 32 राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया है और 15 ने इसका विरोध किया है। विरोधी दलों में कांग्रेस भी शामिल है, जिसके नेता राजीव शुक्ला का इस बिल पर रिएक्शन आया है।
उनका कहना है कि एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव प्रैक्टिकल नहीं है। इसे लागू कर भी दें तो भी यह प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि 5-10 साल बाद फिर वही स्थिति आ जाएगी। क्योंकि जब तक कोई विधानसभा या सदन 5 साल तक भंग नहीं होगा, तभी यह कानून लागू होगा। बीच में भंग हो गया तो उपचुनाव कराने पड़ेंगे और स्थिति फिर वही बन जाएगी। रोज रोज चुनाव कराने पड़ेंगे। ऐसे में बिल को लागू करने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
साल 2034 में एक साथ हो सकते चुनाव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार प्रस्ताव को मंजूर कर चुकी है और अब चुनावी रिफॉर्म को लेकर सरकार इसे JPC में भेज सकती है, ताकि इस पर सभी राजनीतिक दलों के सुझाव लिए जा सकें। वैसे इस बिल का विरोध कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) समेत 15 दलों ने किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) समेत 32 दल इसके समर्थन में हैं।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव तैयार किया। कमेटी की रिपोर्ट में अनुच्छेद 82A(1), 82A (2) को शामिल करने की सिफारिश की गई है। कमेटी ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। वहीं अगर संसद के दोनों सदनों में विधेयक बिना किसी गतिरोध के पारित हो जाता है और साल 2034 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे।