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16 महीने की नौकरी में बना डाले 500 करोड़! कहानी उस IAS की, ज‍िसके पीछे लगी थीं ED की 70 टीमें

Corruption In India: भ्रष्टाचार की समस्या हमारे देश में आज से नहीं है। हमें अपने आईएएस अधिकारियों से उम्मीद रहती है कि वह इस पर लगाम लगाएंगे। लेकिन क्या हो अगर खुद आईएएस अधिकारी ही भ्रष्टाचार का जाल फैलाने लगें। आईएएस पूजा खेडकर के बारे में तो आपने सुना ही होगा। इस रिपोर्ट में जानिए ऐसे ही एक और आईएएस अधिकारी के बारे में जिसके पीछे ईडी को 70 टीमें लगानी पड़ गई थीं।
08:31 PM Jul 11, 2024 IST | Gaurav Pandey
IAS Sameer Vishnoi
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Corrupt IAS Officer : देश की दिशा तय करने वाले नौकरशाहों में से एक पूजा खेडकर का नाम इस समय विवादों में है। उन पर यूपीएससी परीक्षा में फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने का आरोप है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने मेडिकल टेस्ट भी नहीं दिया है। इसी बीच हम आपको बताने जा रहे हैं एक और भ्रष्ट आईएएस अधिकारी के बारे में जिसने महज 16 महीने की नौकरी में 500 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली थी। इस आईएएस अधिकारी के पीछे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 70 टीमों को लगाया था।

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हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीन विश्नोई की। 2009 बैच के आईएएस अधिकारी विश्नोई को ईडी ने बड़े स्तर के भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था। यह मामला खनन के कार्यों में रिश्वतखोरी से जुड़ा हुआ था। छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा ने हाल ही में समीर विश्नोई और एक अन्य आईएएस अधिकारी रानू साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में नई एफआईआर दर्ज की थीं। इस मामले में 16 महीनों के दौरान 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ली गई थी जो सबके बीच बांट दी गई थी।

IIT कानपुर से किया था बीटेक

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से आने वाले समीर विश्नोई ने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। इसके बाद वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बने थे। उनका जन्म 3 दिसंबर 1982 को कानपुर में हुआ था। 11 दिसंबर 2009 को उन्होंने सिविल सेवा जॉइन की थी। उनकी पहली पोस्टिंग कलेक्टर के तौर पर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्थित कोंडागांव जिले में हुई थी। लेकिन, पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज रहे समीर विश्नोई पैसों के लालच में फंसकर अपने शानदार करियर से हाथ धो बैठे।

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कमाई से कहीं ज्यादा थी संपत्ति

विश्नोई के खिलाफ दर्ज नई एफआईआर में कहा गया है कि सितंबर 2010 से सितंबर 2022 के बीच उन्होंने करीब 93 लाख रुपये सैलरी के तौर पर लिए थे। लेकिन इसी अवधि के दौरान खरीदी गई उनकी चल-अचल संपत्तियों की कीमत 5.12 करोड़ रुपये से ज्यादा की थी। ईडी ने विश्नोई को अक्टूबर 2022 में कोयला उगाही मामले में गिरफ्तार किया था। इस सिंडिकेट में कई कारोबारी भी शामिल थे। आरोप है कि इन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ का इस्तेमाल करते हुए खुलेआम नीतियों में बदलाव किए थे और जमकर रिश्वत ली थी।

पूछताछ के दौरान विश्नोई की पत्नी प्रीति गोदारा ने स्वीकार किया था कि रिश्वत से मिले पैसों से संपत्तियां, महंगे आभूषण और गोल्ड बुलियन खरीदे गए थे। उनके आवास से 47 लाख रुपये कैश और उनके नाम पर दर्ज एक और संपत्ति से 21 लाख रुपये की नकदी मिली थी। इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ में ट्रांसपोर्ट होने वाले हर 1 टन कोयले पर 25 रुपये की वसूली की जाती थी। इसमें आईएएस अधिकारियों से लेकर, राजनेता, कारोबारी और राज्य के अन्य अधिकारी भी शामिल थे। इस गंभीर मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

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