2 साल में 3656 वर्ग KM जंगल खत्म! क्या भारत की हरियाली खो रही? रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
Dense Forest fo India Extincting: भारत अपने घने जंगल खो रहा है, लेकिन पेड़ों की संख्या बढ़ रही है। 1 हेक्टेयर से छोटे एरिया में खड़े पेड़ों को जंगल नहीं माना जाता तो उन्हें सिर्फ पेड़ों के रूप में अलग से गिना जाता है। 112014 वर्ग किलोमीटर एरिया में भारत में पेड़ लगे हैं। वहीं पिछले 2 सालों में 3656 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों का नुकसान हुआ है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा शनिवार को देहरादून में द्विवार्षिक भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR 2023) जारी की गई। इसमें बताया गया है कि साल 2021 से भारत के वन क्षेत्र में 156 वर्ग किलोमीटर और पेड़ों की संख्या में 1289 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इस दौरान 3656 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों का नुकसान भी हुआ। रिपोर्ट जारी करते हुए मंत्री यादव ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि साल 2021 की तुलना में देश के कुल वन क्षेत्र और पेड़ों की संख्या में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
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किस राज्य में कितना फायदा और कितना नुकसान?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में बताा गया है कि वन क्षेत्र एवं पेड़ों की संख्या में 4 राज्यों छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किलोमीटर), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किलोमीटर), ओडिशा (559 वर्ग किलोमीटर) और राजस्थान (394 वर्ग किलोमीटर) में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। साल 2021 से 2023 के बीच वन क्षेत्र और पेड़ों की संख्या में 4 राज्यों मध्य प्रदेश (612.41 वर्ग किलोमीटर), कर्नाटक (459.36 वर्ग किलोमीटर), लद्दाख (159.26 वर्ग किलोमीटर) और नागालैंड (125.22 वर्ग किलोमीटर) में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। अकेले वन क्षेत्र में वृद्धि की बात करें तो मिजोरम (242 वर्ग किलोमीटर), गुजरात (180 वर्ग किलोमीटर) और ओडिशा (152 वर्ग किलोमीटर) में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेड़ों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसमें छत्तीसगढ़ (702.75 वर्ग किलोमीटर), राजस्थान (478.26 वर्ग किलोमीटर) और उत्तर प्रदेश (440.76 वर्ग किलोमीटर) अव्वल हैं।
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मैंग्रोव वनों का नुकसान भी उठाना पड़ा
ISFR के अनुसार, भारत में 2021-2023 के दौरान कुल मिलाकर 3656 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की कुछ भरपाई 895 वर्ग किलोमीटर गैर-वनों को घने जंगलों में बदलने से हुई। वहीं 2021 से अब तक देश के मैंग्रोव जंगलों का एरिया 7.43 वर्ग किलोमीटर कम हो गया है, जिसमें गुजरात में सबसे ज़्यादा 36.39 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है। आंध्र प्रदेश (13.01 वर्ग किलोमीटर) और महाराष्ट्र (12.39 वर्ग किलोमीटर) में मैंग्रोव वनों के एरिया में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
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