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BJP-RSS के संबंधों में PM की किताब पर चर्चा क्यों? CM रहते मोदी ने लिखी थी 'ज्योतिपुंज'

PM Narendra Modi Book Jyotipunj: पीएम मोदी की किताब ज्योतिपुंज इन दिनों चर्चा में है। वजह है बीजेपी-संघ के रिश्तों में आई कड़वाहट। हालांकि मोदी विरोधी जिसे कड़वाहट बता रहे हैं उनको मोदी की लिखी पुस्तक ज्योतिपुंज पढ़नी चाहिए। यह कहना है बीजेपी और संघ के समर्थकों का।
02:22 PM Jun 16, 2024 IST | Rakesh Choudhary
पीएम नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत
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PM Narendra Modi Book Jyotipunj: नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अपनी तीसरी पारी की शुरुआत कर चुके हैं। उनकी पार्टी बीजेपी इस बार बहुमत से दूर रह गई। बीजेपी को इस चुनाव में 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। जबकि 2019 और 2014 में बीजेपी को क्रमशः 303 और 282 सीटें मिलीं थी। चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं होने के कारण विपक्षी और आरएसएस बीजेपी और पीएम मोदी पर जमकर हमला बोल रहे हैं।

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मोहन भागवत ने 10 जून को सेवक को अंहकार नहीं पालने और काम करने का संदेश दिया था। इसके साथ ही उन्होंने सेवक की परिभाषा भी बताई। ऐसे में अब ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि संघ बीजेपी के रवैये से खुश नहीं है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी समर्थक ये दलील दे रहे हैं कि उन्हें पीएम मोदी और भागवत के रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं पता है।

मोदी-भागवत के बीच गुरु भाई का संबंध

संघ और बीजेपी समर्थक इसके लिए नरेंद्र मोदी की लिखी पुस्तक ज्योतिपुंज का हवाला भी दे रहे हैं। संघ समर्थकों का मानना है कि नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख के बीच रिश्ते को समझने के लिए उन्हें ज्योतिपुंज नामक पुस्तक पढ़नी चाहिए। दोनों के बीच गुरु भाई का संबंध है। किताब के अनुसार मोदी संघ प्रमुख मोहन भागवत के पिता को मानस पिता कहते थे। पीएम मोदी जब 20 साल के थे तो वे मधुकर राव जी के साथ नागपुर में संघ के प्रशिक्षण शिविर में रहे। गुजरात में संघ के प्रचार प्रचार का श्रेय मधुकर राव को जाता है। इस किताब में पीएम मोदी ने मधुकर भागवत समेत कई प्रचारकों का जिक्र किया है जिन्होंने उनका प्रभावित किया था।

पीएम मोदी की पुस्तक ज्योतिपुंज के विमोचन पर पीएम मोदी, मोहन भागवत और साध्वी ऋतंभरा

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मोहन भागवत की तुलना पारसमणि से की

किताब में पीएम मोदी ने मोहनराव भागवत की तुलना पारसमणि से की है। उन्होंने किताब में कई प्रचारकों का जिक्र किया है। इसमें लक्ष्मणराव इनामदार, केशवराज देशमुख, बाबू भाई ओझा, बचुभाई भगत जैसे नाम शामिल हैं। इस किताब का विमोचन स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया था। इस कार्यक्रम में साध्वी ऋतंभरा ने भी मंच साझा किया था। विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था जिस परंपरा ने मुझे संस्कारित किया। जिन महानुभावों ने मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जिन्होंने मुझे सही समय पर रास्ता दिखाया। ऐसे में अंदर से इच्छा थी कि इनके बारे में कुछ लिखूं। उन्होंने आगे कहा कि यह किताब किसी साहित्यिक परंपरा का हिस्सा नहीं है बल्कि मेरे लिए भाव विषय के दस्तावेज हैं।

मधुकर जी का जीवन संघ को समर्पित था

ज्योतिपुंज किताब में नरेंद्र मोदी लिखते हैं कि 1929 में मधुकर राव भागवत स्वयंसेवक बने। माताजी के निधन के बाद परिवार के आग्रह पर उन्होंने विवाह किया। लेकिन आजीवन संघ के लिए कार्य करते रहे। उन्होंने गुजरात में सबसे पहले सूरत में शाखा लगाई। इसके बाद वडोदरा और अहमदाबाद में शाखा का कार्य शुरू किया। उन्होंने किताब में लिखा कि उस समय मधुकर जी के पास लालकृष्ण आडवाणी जैसे अनेक स्वयंसेवक शिक्षा लेने आते थे। ऐसे में पीएम मोदी के साथ जब संघ प्रमुख के रिश्तों में दरार की बात की जा रही है तो उनके समर्थक इस किताब का हवाला देकर विरोधियों को आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

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