Doda Terror Attack: आतंकी कहां से आए, किसने की मदद? ग्राउंड रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Doda Terror Attack: डोडा में लगातार दूसरी बार बड़ा आतंकी हमला देखने को मिला है। 16 जुलाई को आतंकियों संग हुई मुठभेड़ में 4 जवान शहीद हो गए थे। वहीं बीती रात फिर आतंकियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया। आतंकी ने घात लगाते हुए जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस घटना में दो जवान घायल हो गए। अब सवाल ये है कि डोडा में आखिर आतंकियों की मदद किसने की? आतंकी किस रास्ते से सेना के जवानों तक पहुंचे?
स्कूल में मौजूद थे जवान
खबरों की मानें तो बीती रात डोडा में हुए आतंकी हमले के पीछे ग्राउंड वर्कर्स का हाथ हो सकता है। स्थानीय लोगों ने आतंकियों को ये जानकारी दी थी, हमारे जवान स्कूल के अंदर हैं। उस दौरान कुछ जवान स्कूल में आराम कर रहे थे और कुछ जवान बाहर पहरेदारी में लगे थे। ऐसे में सवाल ये है कि स्कूल में जवानों की मौजूदगी की सूचना आतंकियों को कैसे मिली?
जंगल से आए आतंकी
दरअसल डोडा में मौजूद ये स्कूल ऊंची पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। स्कूल के पीछे मौजूद जंगल के रास्ते आतंकी यहां आए। ये रास्ता काफी उबड़-खाबड़ है। आतंकियों ने स्कूल में घुसकर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ की और फिर उसी रास्ते से भागते हुए मकई के खेतों में छिप गए। आतंकी जिस पहाड़ के रास्ते से स्कूल में आए थे, उसी रास्ते से वापस भी लौटे।
तीन तरफ से भागे आतंकी
जंगल के रास्ते आए आतंकियों ने पहले स्कूल को चारों तरफ से घेर लिया और फिर अंदर मौजूद जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी के बाद आतंकी तीन रास्ते से भागे। हालांकि आतंकियों के भागने के 1 घंटे बाद तक सेना ने जवाबी फायरिंग जारी रखी। मगर आतंकी वहां से भाग निकले। इससे साफ है कि आतंकियों की मदद स्थानीय लोगों ने की होगी। आतंकियों के पास स्कूल के दोनों दरवाजों से लेकर भागने के रास्ते तक की सारी जानकारी मौजूद थी।
2 बजे रात को बोला हमला
बता दें कि डोडा के इस स्कूल में रात के 2 बजे आतंकियों की एंट्री होती है। उरी हमले की तरह आतंकी सोते हुए जवानों को निशाना बनाने की प्लानिंग के साथ स्कूल में दाखिल हुए थे। मगर जवान पूरी तरह से अलर्ट थे। उन्होंने फौरन मोर्चा संभाला। जवानों और सेना के बीच करीब 4:30 बजे तक मुठभेड़ चली। सुरक्षा बलों ने अगले 1 घंटे तक भी गोलीबारी जारी रखी। मगर आतंकी मौके से फरार हो गए। स्कूल की दीवारों से लेकर दरवाजों तक पर गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं।
सेना का सर्च ऑपरेशन
गौरतलब है कि सेना ने जम्मू कश्मीर पुलिक के साथ मिलकर डोडा में सर्च ऑपरेशन चला रखा है। 16 जुलाई को इसी सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों का सामना सेना से हुआ था। इस हमले में सेना के 4 जवान और 1 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीद जवानों की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि आतंकियों ने उसी इलाके में फिर से पैर पसारना शुरू कर दिया।
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