डीएमके सांसद के खिलाफ ईडी का एक्शन, FEMA मामले में ठोका 908 करोड़ रुपये का जुर्माना
ED fines DMK MP : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डीएमके सांसद एस जगतरक्षकन और उनके परिवार पर 908 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उनके खिलाफ यह एक्शन फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के एक मामले में लिया गया है। ईडी ने बुधवार को कहा कि इसके साथ ही उनकी 89 करोड़ रुपये कीमत की संपत्तियों को जब्त भी किया गया है।
बता दें कि ईडी ने तमिलनाडु से सांसद और कारोबारी जगतरक्षकन और उनके परिवार के खिलाफ फेमा के तहत चेन्नई में जांच-पड़ताल की थी। इस दौरान फेमा के सेक्शन 37ए के तहत 89.19 करोड़ रुपये कीमत की संपत्तियां सीज करने का आदेश जारी किया गया था। सोमवार को जारी किए गए एक न्यायिक निर्णय फैसले के जरिए 908 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है।
जानें क्या है पूरा मामला?
पिछले साल आयकर विभाग ने भी टैक्स चोरी से जुड़े एक मामले में जगतरक्षकन के घर और ऑफिस समेत 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने 1 दिसंबर 2021 को FEMA के सेक्शन 16 के तहत जगतरक्षकन, उनके परिवार और उनसे संबंधित कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने साल 2017 में सिंगापुर की एक शेल कंपनी में 42 करोड़ रुपये के निवेश को लेकर फेमा के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उन पर सिंगापुर के शेयर्स अपने परिजनों में बांटने और श्रीलंका की एक कंपनी में करीब 9 करोड़ रुपये का निवेश करने का आरोप भी है।
कौन हैं एस जगतरक्षकन?
एस जगतरक्षकन तमिलनाडु की अरक्कोणम लोकसभा सीट से सांसद हैं। साल 1999 के बाद से उन्हें तीन बार इस संसदीय क्षेत्र से जीत मिल चुकी है। नवंबर 2012 से मार्च 2013 तक उन्होंने कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर की जिम्मेदारी संभाली थी। वह श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चेयरमैन और डॉ. रेला हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट के मालिक हैं। वह 30 किताबें लिख चुके हैं जिनमें से एक का अनावरण मदर टेरेसा ने किया था।
जगतरक्षकन साल 1980 में पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के लिए चुने गए थे। तब उन्होंने एडीएमके के टिकट पर उथिरामेरुर विधानसभा से चुनाव जीता था। वह पहले ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने एक प्रोफेशनल कॉलेज की स्थापना की है। साल 1984 में उन्होंने 'भारत इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी' की शुरुआत की थी, जिसे साल 2003 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था और इसका नाम 'भारत यूनिवर्सिटी' हो गया था।