Exclusive: विदेश मंत्री जयशंकर बोले- पहले सरकारें घुसपैठ के डर से बॉर्डर पर विकास नहीं करती थीं, मगर अब...
Exclusive: (कुमार गौरव) भारत सरकार ने अपने बजट में पड़ोसी देशों के साथ बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। इस बार बजट 2023-24 में सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण का बजट 43 फीसदी बढ़ाया है। सरकार की तरफ से बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन यानी बीआरओ को 5000 करोड़ रुपए दिए हैं।
अक्सर चीन के साथ भारतीय सीमा पर भारत की तैयारी को लेकर सवाल उठाया जाता है। ऐसे में NEWS 24 ने देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) से खास बात (Exclusive Interview) की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश…
बॉर्डर इलाकों में आधारभूत संरचना को विकसित कर रही सरकार
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमारी सोच यह है कि जिस किसी देश के साथ भी युद्ध जैसी स्थिति आती है तो उनके सैनिकों को सीमा पर ही रोक दिया जाए और इसके लिए भारत सरकार लगातार बॉर्डर इलाकों में आधारभूत संरचना को विकसित कर रही है।’
बॉर्डर पर विकास दोगुना गति से हुआ
एस जयशंकर ने कहा, ‘अगर चीन बॉर्डर की बात करें तो मोदी सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में बॉर्डर पर हुए कामों के अंतर से समझा जा सकता है कि बॉर्डर पर विकास का दर दोगुणा हुआ है। सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से सेंसिटिव भारत के उतरी हिस्सों में चीन से सटे बॉर्डर पर मोदी सरकार ने जबरदस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है। मोदी सरकार का मानना है कि सीमा पर आधारभूत संरचना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सैनिकों को बेहतर तैयारी में मदद करती है।’
चीन बॉर्डर पर 6806 किलोमीटर का लंबा नेटवर्क खड़ा हुआ
एस जयशंकर ने कहा, ‘सबसे पहले चीन बॉर्डर पर रोड नेटवर्क की बात करें तो मोदी सरकार ने 2014 से लेकर 2022 के बीच 8 सालों में चीन बॉर्डर पर 6806 किलोमीटर लंबा नेटवर्क खड़ा किया है। जबकि उससे पहले की सरकारों ने 2008 से 2014 के बीच 6 सालों में 3610 किलोमीटर का रोड नेटवर्क खड़ा किया था। यानी तुलनात्मक दृष्टि से लगभग दो गुना सड़क निर्माण किया गया है।’
चीन बॉर्डर पर बनाया 23.5 किमी लंबा पुल
विदेश मंत्री ने कहा, ‘2014 से पहले चीन सीमा से बिल्कुल सटे इलाकों में 7.3 किमी पुल का निर्माण किया गया था। जबकि मोदी सरकार के दौरान हमने 23.5 किमी पुल का निर्माण चीन से सटे इलाकों में किया है। इस तरह के छोटे पुल किसी विकट स्थिति में सेना के लिए काफी जरूरी होता है। पिछले दो वर्षों में, बीआरओ के बजट को बढ़ाकर 2500 से 5000 करोड़ किया गया है यानी दोगुनी वृद्धि की गई है।’
‘इसी क्रम में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर विश्व का सबसे बड़ा सड़क टनल यानि अटल टनल का निर्माण अहम है। 9.02 किलोमीटर लंबे इस टनल के निर्माण से लाहौल स्फीति घाटी इलाके में सालभर आवाजाही के साथ साथ मनाली और कीलोंग की दूरी भी 45 किलोमीटर घट गई, जिससे चीन बॉर्डर पर पहुंचना काफी आसान हो गया है।’
‘इतना ही नहीं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज दक्षिणी लद्दाख के उमलिंगा पास में 19 हजार 24 फीट की ऊंचाई पर चिसूमले और डेमचोक के बीच बने सड़क का निर्माण कर मोदी सरकार ने भारत-चीन बॉर्डर पर बड़ी कामयाबी हासिल की है।’
16 दर्राओं को खोलना एक बड़ी उपलब्धि
विदेश मंत्री ने कहा, ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की वजह से ही चीन सीमा पर जोजिला दर्रे को मार्च 2022 में महज 73 दिन के बंदी के बाद खोलना संभव हो पाया, जो सामान्य तौर पर पांच महीने बर्फ से ढका रहता था।’
‘इतना ही नहीं पिछले साल भारत चीन बॉर्डर पर स्थित 16 दर्राओं को रिकॉर्ड समय में खोलना भी इस पूरे रणनीतिक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो आमतौर पर लंबे समय के लिए पूरे इलाके को देश के दूसरे हिस्सों से अलग कर देता था।’
‘चीन सीमा से बिलकुल सटे अरुणाचल के लाइ ब्रिज को महज 240 दिन में एलांग- यिकिंग रोड पर बनाया गया है। दूसरा मिंजिंग टूटिंग रोड पर एक पुल रिकॉर्ड 180 दिनों में तैयार किया गया है।’
‘चीन सीमा पर सबसे महत्वपूर्ण निर्माण में से एक सेला टनल जो 13,700 फीट ऊंचाई पर बनाया जा रहा है जिससे इंडियन आर्मी सालों भर सीधे एलएसी पर तवांग के करीब पहुंच पाएगी। निर्माण के बाद यह टनल विश्व का सबसे बड़ा बायलेन टनल होगा।’
चुशूल-डूंगती-डेमचौक सड़क से मजबूत होगी स्थिति
जयशंकर ने कहा, ‘रणनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण चुशूल-डूंगती-डेमचौक सड़क का निर्माण पिछले महीने शुरू किया गया है। 135 किलोमीटर लंबे इस सड़क के निर्माण के बाद भारत इस इलाके में काफी मजबूत स्थिति में होगा। केंद्र सरकार भारत चीन सीमा से सटे इन इलाकों में निर्माण कार्य नए तकनीक के जरिए कर रहा है जो हाई एल्टीट्यूड पर भी अधिक समय तक टिकाऊ रहे और 12 महीने सैनिकों के आवाजाही के लिए उपलब्ध रहे।’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘सीमा पर आवाजाही जितना आसान होगी। उससे सैनिकों के मूवमेंट में उतनी ही आसानी होती है। साथ ही सैनिकों को लंबे समय तक सीमा इलाकों में जमे रहने के लिए, टिके रहने के लिए भी आधारभूत संरचना का विकास सबसे महत्वपूर्ण है।’
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