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जेल जाएंगे 'बड़े-बड़े' एक्टर डायरेक्टर! क्या फिल्म इंडस्ट्री की तस्वीर बदल देगा यूपी का ये केस?

Malayalam Film Industry Crisis: हेमा कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक तरह से तूफान आया हुआ है। ऐसे मामलों में केरल सरकार पर लापरवाही और नरमी बरतने का आरोप लग रहा है। मगर इसी बीच उत्तर प्रदेश के एक केस की जानकारी सामने आई है जो इसे लेकर उठ रहे सभी सवालों के जवाब दे सकता है।
10:10 PM Aug 27, 2024 IST | Gaurav Pandey
Represacentative Image (Pixabay)
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Hema Committee Reort : 19 अगस्त को हेमा कमेटी की रिपोर्ट आई थी और इसके अगले ही दिन केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने ऐलान कर दिया था कि सरकार की ओर से कोई जांच शुरू नहीं की जाएगी। विजयन के इस कदम की खासी आलोचना हुई है। उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार मलयालम फिल्म इंडस्ट्री (Malayalam Film Industry) में उन शख्सियतों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से कोई एक्शन नहीं लेगी जिनके खिलाफ महिलाओं की ओर से यौन शोषण करने के आरोप लगाए गए हैं। विजयन का कहना है कि इससे सबूतों की गोपनीयता बरकरार रहेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई महिला अपनी शिकायत के साथ आगे आती है तो सरकार उचित कार्रवाई करेगी।

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प्रॉसीक्यूशन के पूर्व डायरेक्टर जनरल टी असफ अली ने इसे लेकर मुख्यमंत्री विजयन को निशाने पर लिया है। अली का कहना है कि कानून के अनुसार किसी संज्ञेय अपराध के बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस को केस दर्ज करना चाहिए और जांच शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने साल 2013 के ललिता कुमारी बनाव उत्तर प्रदेश सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई सूचना संज्ञेय अपराध के बारे में बताती है तो बिना शुरुआती जांच के सीआरपीसी के सेक्शन 154 के तहत एफआईआर जरूर दर्ज की जानी चाहिए। ऐसा ही भारतीय न्याय संहिता में भी होना चाहिए।

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रिपोर्ट ने खड़े किए कई सवाल

बता दें कि 233 पन्नों वाली हेमा कमीशन की रिपोर्ट 19 अगस्त को दोपहर करीब 2.30 बजे जारी हुई थी। जस्टिस के हेमा की अगुवाई वाला यह कमीशन साल 2017 में एक्टर दिलीप से जुड़े यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने के बाद की कई थी। इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की उन समस्याओं पर बात की गई है जिनका सामना महिलाओं को करना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडस्ट्री अक्सर उन लोगों को मौके देने से इनकार कर देती है जो 'सहयोग' करने और सेक्सुअल फेवर करने से मना कर देते हैं। जिस मामले की बात असफ अली ने की है अगर उसे लागू कर दिया जाता है तो इंडस्ट्री के कई बड़े नाम फंस सकते हैं।

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प्रसिद्ध एक्टर मोहनलाल का भी इसमें नाम आया है जिसके बाद उन्होंने मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन ने प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा दे दिया था। एसोसिएशन भी भंग हो चुकी है। बता दें कि मलयालम सिनेमा इंडस्ट्री में लंबे समय से महिला कलाकारों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगते आए हैं। ऐसे ही मामलों की जांच करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश के हेमा की अध्यक्षता में समिति बनी थी। अब जब इसकी रिपोर्ट सामने आई तो इसने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया। रिपोर्ट आने के बाद दिग्गज अभिनेता सिद्दीकी, एसोसिएशन के संयुक्त सचिव बाबूराज और एक अन्य डायरेक्टर पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं।

क्या था ललिता देवी का केस?

उत्तर प्रदेश का यह मामला एक नाबालिग किशोरी से जुड़ा हुआ है जो लापता हो गई थी। ललिता देवी नाम की इस किशोरी के लापता होने के बाद उसके पिता ने एक रिट याचिका दाखिल की थी और अदालत से दखल देने की मांग की थी। मामला ललिता देवी के पिता की ओर से उसके लापता होने की सूचना दिए जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की ओर से की गई देरी से जुड़ा हुआ है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शब्दों में हिदायत दी थी कि अगर ऐसी कोई सूचना मिलती है जो एक संज्ञेय अपराध के बारे में बताती है तो शुरुआती जांच के बिना पुलिस को अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करनी चाहिए।

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