800 से ज्यादा छात्र संक्रमित, 47 की मौत... त्रिपुरा कैसे बन गया AIDS का हॉटस्पॉट?
HIV AIDS In Tripura : देश के उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा में समय के साथ छात्रों के बीच एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (TSACS) की एक हालिया रिपोर्ट में इसकी तस्वीर देखने को मिली है। समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सरकारी संस्था ने अब तक एचआईवी पॉजिटिव छात्रों के 828 मामले रजिस्टर किए हैं। इनमें से 572 अभी जीवित हैं और 47 की मौत हो चुकी है।
राज्य के कई छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित संस्थानों में जा चुके हैं। इससे एचआईवी संक्रमण के बड़े स्तर पर फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि नॉर्थ-ईस्ट के बाहर यह खबर भले ही हैरान करने वाली हो लेकिन यह क्षेत्र इस समस्या का सामना कई साल से करता आ रहा है। सोसायटी की डायरेक्टर डॉ. समर्पिता दत्ता कहती हैं कि एचआईवी इंफेक्शंस यहां नए नहीं हैं। यहां हर साल औसतन 1500 मामले दर्ज किए जाते हैं।
युवाओं के बीच तेजी से क्यों फैल रहा है एचआईवी एड्स?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य में युवाओं और छात्रों के बीच एड्स के मामले इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं। इसके पीछे सुई से ड्रग लिए जाने को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से पहले (साल 2015 से 2020 तक) इस तरह की ड्रग का प्रचलन 5 प्रतिशत था। कोविड के बाद (साल 2020 से 2023 तक) यह दर 10 प्रतिशत हो गई। 1999 में यहां एचआईवी पॉजिटिविटी रेट 0.56 प्रतिशत था जो 2023-24 में 0.92 हो गया था।
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'नीडल शेयरिंग' से एचआईवी संक्रमित होने के मामले बढ़े!
बता दें कि पिछले साल के मुकाबले एचआईवी का सेक्सुअल ट्रांसमिशन 2 प्रतिशत कम हुआ है। लेकिन, नीडल शेयरिंग (नशे के लिए इंजेक्शन शेयर करना) इस जानलेवा वायरस के ट्रांसमिशन के एक प्रमुख तरीके के रूप में सामने आई है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्लड-टू-ब्लड कॉन्टैक्ट से फैलता है। डॉ. दत्ता का कहना है कि एचआईवी एड्स से संक्रमण के मामले बढ़ते रहेंगे क्योंकि इंफेक्शन को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। जो पॉजिटिव पाए जाते हैं वह पॉजिटिव ही रहते हैं।
ड्रग एडिक्ट्स के इंफेक्ट होने की संभावना 43 गुना ज्यादा
सोसायटी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इंजेक्शन से ड्रग लेने वाले लोगों की एचआईवी की चपेट में आने की संभावना आम वयस्क जनता के मुकाबले 43 गुना ज्यादा होती है। यह राज्य के युवाओं के लिए काफी चिंता का मसला है। राज्य में इंजेक्शन से ड्रग लेने के कुल दर्ज मामलों में से 87 प्रतिशत में ड्रग यूजर की उम्र 16 से 30 साल के बीच रही है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी 21 से 25 साल की उम्र के युवाओं की है। 12 ऐसे इंजेक्टेबल ड्रग यूजर भी मिले हैं जिनकी उम्र 15 साल से कम है।
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