क्या है हिज्ब-उत-तहरीर? मोदी सरकार ने घोषित किया आतंकी संगठन, इस देश में हुई थी स्थापना
Hizb Ut Tahrir : कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर को केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को आतंकी संगठन घोषित करते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका एलान करते हुए कहा कि हिज्ब-उत-तहरीर का टारगेट जिहाद के जरिए लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर भारत समेत पूरी दुनिया में इस्लामी राज की स्थापना करना है। मंत्रालय ने कहा कि यह आतंकी संगठन देश के लोकतंत्र और आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
हिज्ब-उत-तहरीर की नींव साल 1953 में येरुशलम में रखी गई थी। इसकी स्थापना करने का उद्देश्य दुनिया में इस्लामी खलीफा की स्थापना करना शरिया कानून लागू करना है। ये संगठन मध्य पूर्व और दक्षिणी एशिया में एक्टिव है। इसकी स्थापना कती अल-दिन अल-नभानी ने की थी। वह एक फिलिस्तीनी इस्लामी विद्वान था। यह संगठन दुनिया के इतिहास को इस्लाम और इस्लाम में भरोसा न करने वालों के बीच हमेशा चलने वाले विवाद की तरह देखता है।
50 से भी ज्यादा देशों में एक्टिव
भारत सरकार ने इस संगठन को खतरा बताते हुए बैन कर दिया है। सरकार के अनुसार इसके सदस्य देश के सामाजित ताने-बाने को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के बाद हिज्ब उत-तहरीर 50 से अधिक देशों में पहुंच चुका है और इसके सदस्यों की संख्या 10 लाख के आस-पास मानी जाती है। कई देशों में बैन हो चुका यह आतंकी संगठन ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों में भी एक्टिव है। इनके अलावा कई अरब और मध्य एशियाई देशों में भी यह सक्रिय है।
बैन पर क्या बोला गृह मंत्रालय?
भारत में इसे प्रतिबंधित किए जाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार मानती है कि हिज्ब उत तहरीर आतंकवाद में संलिप्त रहा है। इसने भारत में हुए आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं में हिस्सा लिया है। इसके विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, सिक्योर एप्लिकेशंस का इस्तेमाल करते हुए आतंकवाद को प्रमोट करने का काम किया है। यह युवाओं को आतंकी बनाने के लिए उन्हें भड़काने का काम करता था।