बस कंडक्टर की बेटी, पहली बार में AIR 2, कौन हैं IAS डॉ. रेनू राज? राहुल गांधी ने जिन्हें सौंपा नामांकन
Who is IAS Dr. Renu Raj: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए केरल की वायनाड सीट से अपना नामांकन भर दिया है। बुधवार को उन्होंने वायनाड कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी रेनू राज को पर्चा सौंपा। इसी के साथ रेनू राज भी चर्चा में हैं। खास बात यह है कि राहुल गांधी ने जिस आईएएस को अपना पर्चा सौंपा, उसकी सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है। वह एक बस कंडक्टर की बेटी हैं।
कौन हैं IAS रेनू राज?
IAS रेनू राज सिविल सेवा अधिकारी होने के अलावा एक डॉक्टर भी हैं। उन्होंने 2015 में महज 27 साल की उम्र में देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी क्रैक की थी। उन्होंने न सिर्फ इसे क्रैक किया, बल्कि ऑल इंडिया रैंक 2 भी हासिल की। मूलरूप से केरल की रहने वाली रेनू राज ने पहले ही प्रयास में ये सफलता हासिल की थी।
उनके पिता कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KSRTC) में कंडक्टर रह चुके हैं। कुछ समय पहले ही वे रिटायर हुए थे। उनकी मां हाउसवाइफ हैं। तमाम संघर्ष के बाद रेनू राज न सिर्फ डॉक्टर बनीं, बल्कि उन्होंने आईएएस बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।
दोनों बहनें भी हैं डॉक्टर
रेनू राज ने जब यूपीएससी के लिए आवेदन किया था, तब वह एक सर्जन के तौर पर काम कर रही थीं। केरल के कोट्टायम जिले के चंगनास्सेरी में जन्मीं रेनू की दो बहनें भी डॉक्टर हैं। रेनू राज ने अपनी स्कूली शिक्षा कोट्टायम के सेंट टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल से की। स्कूलिंग के बाद उन्होंने कोट्टायम के सरकारी मेडिकल कॉलेज से अपनी एमबीबीएस पूरी की।
लाखों लोगों की मदद करना चाहती हैं रेनू राज
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैंने मेडिकल प्रोफेशन इसलिए छोड़ा क्योंकि इसके जरिए मैं सिर्फ 50 से 100 लोगों की मदद कर पाती, लेकिन एक आईएएस के रूप में लाखों लोगों की मदद करने का मौका मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा था कि मैं रातों-रात समाज को नहीं बदल सकती, लेकिन यदि कोई वाकई जरूरतमंद है तो उसे मुझसे दूसरी बार संपर्क नहीं करना पड़ेगा।
ब्रह्मपुरम अग्निकांड के बाद हुआ था ट्रांसफर
रेनू राज ने श्रीराम वेंकटरमन से शादी की है, जो खुद आईएएस हैं। रेनू इससे पहले केरल के अलाप्पुझा की जिला कलेक्टर के रूप में तैनात थीं। वह एर्नाकुलम कलेक्टर भी रह चुकी हैं। हालांकि पिछले साल केरल ब्रह्मपुरम अग्निकांड के बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया था। उन पर इस अग्निकांड के मामले को हल्के ढंग से संभालने के आरोप लगे थे, लेकिन इससे पहले वे अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने के लिए भी पहचानी गईं।
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