'INDIA' ब्लॉक का जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपक्ष के पास आगे क्या हैं विकल्प?
Vice President Jagdeep Dhankhar: इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही। राज्यसभा में सभापति धनखड़ के साथ लगातार विपक्षी सांसदों के टकराव को इसका कारण बताया गया है। भारतीय संसद के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी सभापति के खिलाफ प्रस्ताव लाने की बात हुई हो। कांग्रेस की अगुआई वाले इंडिया गठबंधन के सांसदों और सभापति के बीच बिगड़े संबंधों का मामला पहली बार सामने आया है। विपक्षी सांसदों ने उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने का नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा है।
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सूत्रों के मुताबिक इस नोटिस पर 70 सांसदों के सिग्नेचर हैं। उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए न्यूनतम 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं। नोटिस पर कांग्रेस, RJD, TMC, CPI, CPI-M, JMM, AAP, DMK समेत कई दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी गुट के अनुसार धनखड़ लगातार उनके सांसदों की अनदेखी करते हैं। एक पोस्ट भी कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की सामने आई है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि राज्यसभा सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के अलावा इंडिया ब्लॉक के पास दूसरा विकल्प नहीं है।
पक्षपात करने के आरोप
रमेश ने लिखा कि वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते समय पक्षपात करते हैं। इंडिया ब्लॉक के दलों के लिए यह बहुत दर्दनाक है, लेकिन लोकतंत्र के हित में उन्हें अब कदम उठाना पड़ा है। प्रस्ताव राज्यसभा महासचिव को सौंपा गया है। बता दें कि विपक्ष ने कई मुद्दे उठाए हैं, जिसको लेकर उनकी उपराष्ट्रपति से नाराजगी है। हाल ही में जगदीप धनखड़ ने सत्ता पक्ष को कांग्रेस-सोरोस 'रिलेशन' मुद्दे को उठाने की परमिशन दी थी। PTI की रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी दल अगस्त में ही सांसदों को एकजुट कर प्रस्ताव लाने के मूड में थे। लेकिन बाद में धनखड़ को एक और चांस देने का निर्णय हुआ। अब सोमवार की कार्यवाही के बाद फिर विपक्षी सांसद एकजुट हो गए।
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सवाल यह उठता है कि क्या राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है, विपक्ष के पास ऑप्शन क्या हैं? उपराष्ट्रपति का संसदीय प्रणाली में अहम रोल है। वे राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष होते हैं। सभापति पद से तब हट सकते हैं, जब उपराष्ट्रपति पद से हटा दिए जाएं। अविश्वास प्रस्ताव अनुच्छेद 67B के तहत लाया जा सकता है। इसके अनुसार उपराष्ट्रपति के खिलाफ अगर राज्यसभा में प्रभावी बहुमत मिल जाए तो लोकसभा में उनके खिलाफ साधारण बहुमत से सहमति बनानी जरूरी होती है। इसके बाद उनको हटाया जा सकता है।
14 दिन का नोटिस जरूरी
हटाने संबंधी कोई प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस जारी करना होता है। प्रस्ताव पेश होने के बाद उच्च सदन में बहस और वोटिंग की जरूरत होती है। फिलहाल की स्थिति में विपक्ष के पास जरूरी बहुमत की कमी है। राज्यसभा में 234 सांसद हैं। बीजेपी के पास 96, जबकि एनडीए के पास 113 सांसद हैं। 6 सांसद मनोनीत हैं, जो मानकर चलिए कि सरकार का साथ देंगे। इस स्थिति में एनडीए 119 नंबर जुटा लेता है। जादुई आंकड़ा फिलहाल 117 हुआ। इस हिसाब से एनडीए के पास बहुमत से दो सांसद अधिक हैं। यदि इंडिया गठबंधन एक साथ आए तो उसके सांसदों की संख्या 90 बैठती है।