होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

India Canada Row: भारत और कनाडा के रिश्ते पिता-पुत्र की सरकारों के दौरान ही क्यों खराब होते?

India Canada Row Inside Story: भारत-कनाडा के संबंध ट्रूडो पिता-पुत्र के कार्यकाल के दौरान ही खराब होते रहे हैं। इस बार तो रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं। उस समय भी रिश्ते खराब होने का कारण खालिस्तानी थे और आज भी खालिस्तानियों के कारण संबंध बिगड़ने हैं।
01:03 PM Oct 18, 2024 IST | Khushbu Goyal
India-Canada Row
Advertisement

India Canada Row Inside Story (विशाल अंग्रीश): 1980 के दशक से ही कनाडा की धरती खालिस्तानी समर्थकों का समर्थन करती आ रही है। खासकर ट्रुडो पिता-पुत्र के शासन के दौरान ऐसा हुआ है। 1980 में जस्टिन ट्रुडो के पिता पियरे ट्रुडो का शासन था। 1980 के दशक में पंजाब में 2 बड़े पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी गई थी, जिनकी जांच में सामने आया कि तलविंदर सिंह परमार का इस हत्याकांड से सीधा संबंध था और वह कनाडा में रहता था। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कनाडा को तलविंदर सिंह परमार को भारत को सौंपने की मांग की थी।

Advertisement

तलविंदर सिंह परमार ने ही कनाडा में बैठकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल की सुखदेव सिंह बब्बर के साथ मिलकर स्थापना की थी। उस समय पियरे ट्रुडो कनाडा के प्रधानमंत्री थे, इंदिरा गांधी सरकार के निवेदन को ठुकरा दिया था। इससे भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आ गईं और इंदिरा गांधी नाराज हो गईं, लेकिन कनाडा तलविंदर को भारत को न सौंपने के अपने फैसले पर अड़ा रहा। इस घटना के बाद तलविंदर परमार पिछले कई सालों से कनाडा में ही रह रहा था।

यह भी पढ़ें:26 बार हुई आंतकियों को सौंपने की मांग, कनाडा ने नहीं लिया एक्शन; MEA ने ट्रूडो को फिर दिखाया आईना

एयर इंडिया कनिष्क विमान ब्लास्ट से बिगड़े रिश्ते

कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर से जून 1985 में भारतीय विमान कनिष्क ने उड़ान भरी। इस जहाज ने लंदन होते हुए मुंबई जाना था, लेकिन रस्ते में ही इसमें ब्लास्ट हो गया। 329 यात्रियों की मौत हो गई, जिनमें 270 यात्री कनाडा के नागरिक थे। जब इस हमले की जांच हुई तो इसके पीछे खालिस्तानियों का हाथ मिला। ब्लास्ट के पीछे तलविंदर सिंह परमार का हाथ होने के एजेंसियों को पक्के सबूत मिल गए थे। 1983 में जर्मनी में तलविंदर को पुलिस अधिकारियों की हत्या मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन एक साल बाद वह रिहा होकर कनाडा वापस लौट आया था।

Advertisement

1985 में कनाडा में तलविंदर को गिरफ्तार न करने पर कनाडा में पियरे ट्रुडो की काफी आलोचना भी हुई। इसके चलते तलविंदर को गिरफ्तार किया गया, लेकिन फिर उसे छोड़ दिया गया। इसके बाद वह पाकिस्तान चला गया, जिसको लेकर कनाडा के लोगों के भारी विरोध का सामना सरकार को करना पड़ा था, लेकिन कनाडा को खालिस्तानी समर्थकों की मदद करना महंगा पड़ा। बेशक 90 के दशक में कनाडा और भारत के रिश्तों में थोड़ी नमी आई, क्योंकि भारत में मनमोहन सिंह और कनाडा में स्टीफन हॉपर का दौर था। उस दौरान भारत और कनाडा के बीच कई समझौते भी हुए थे।

यह भी पढ़ें:कनाडाई पीएम का खालिस्तानी आतंकी से कनेक्शन! पन्नू ने जस्टिन ट्रूडो को लेकर किया बड़ा दावा

जस्टिन ट्रूडो ने भी खालिस्तानियों का समर्थन किया

साल 2015 में जस्टिन ट्रुडो कनाडा में प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने शुरू से ही खालिस्तानी समर्थकों को बढ़ावा देना शुरू किया। उनकी केबिनेट में 4 सिखों को मंत्री बनाया गया, जिनका अतीत किसी न किसी रूप से खालिस्तानी विचारधारा से जुड़ा हुआ था। इसके चलते दोनों देशों के संबंधों में खटास आनी शुरू हो गई थी। साल 2017 में जब कनाडा के मंत्री हरजीत सिंह सज्जन भारत आए तो उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया था। कनाडा और भारत में यह मामला खूब उछला था। जब ट्रुडो ने अपना खालिस्तान राग नहीं छोड़ा तो वह 2018 में भारत यात्रा पर आए।

इस दौरान भारत ने भी कड़ा रुख अपना लिया था और उनको रिसीव करने के लिए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत को भेज दिया था। ट्रुडो ने समय-समय पर खालिस्तानी समर्थकों को अपना समर्थन देना जारी रखा। भारत विरोध करता है तो उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। भारत में जब G20 शिखर सम्मेलन हुआ था, उस समय भी अलगाववादी तत्वों की हरकतों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा कहा जा रहा था कि खालिस्तानी भारत में खासकर पंजाब में टारगेट किलिंग का खेल खेल रहे हैं और इसके पीछे कनाडा में रह रहे खालिस्तानी हैं। इसकी एक रिपोर्ट कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा सरकार को सौंपी थी।

यह भी पढ़ें:अर्श डल्ला, गोल्डी बराड़ से लखबीर सिंह तक… कनाडा में छिपे हैं पंजाब के ये 7 खूंखार गैंगस्टर

हरदीप निज्जर के कारण रिश्ते और तल्ख हो गए हैं

जून 2023 में कनाडा में आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस की कनाडा यूनिट के प्रधान और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में ही हत्या कर दी गई है। उस पर 2 लोगों ने फायरिंग की थी। इस मामले को लेकर कनाडा खासकर जस्टिन ट्रुडो ने सीधा भारत पर आरोप लगा दिया, क्योंकि कनाडा में चुनाव होने वाले हैं। ट्रुडो सरकार को जगमीत सिंह की पार्टी समर्थन देती आ रही है और जगमीत सिंह शुरू से ही खालिस्तानी विचारधारा का समर्थक रहा है। कहीं न कहीं जगमीत का भी कनाडा सरकार पर खालिस्तानी समूह का समर्थन करने का दवाब समझा जा सकता है।

18 सितम्बर 2024 को जिस तरह हाउस ऑफ कॉमन्स में जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर निज्जर हत्याकांड को लेकर गंभीर आरोप लगा दिए, इसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिक अपने-अपने देशों से निकालने शुरू कर दिए। अब तक के सबसे बुरे दौर में दोनों देशों के रिश्ते देखे जा रहे हैं। बेशक इस समय कनाडा में भारतीय एनआरआई की आबादी ज्यादा है। इस समय कनाडा में सिख और हिन्दू आबादी में थोड़ा ही अंतर बचा है और अगले साल होने वाले कनाडा के चुनाव इस हिसाब से काफी अहमियत रखेंगे।

यह भी पढ़ें:पुराने आरोपों में हवा भरने को ट्रुडो ने लिया बिश्नोई गैंग का नाम, MEA ने खारिज किए आरोप, मांगे सबूत

Open in App
Advertisement
Tags :
Hardeep Singh NijjarIndia-Canada rowJustin TrudeauPierre Trudeau
Advertisement
Advertisement