आतंकियों के खिलाफ एक्शन में कैसे शहीद हो गए थे कर्नल मनप्रीत सिंह? सरकार ने कीर्ति चक्र से नवाजा
Colonel Manpreet Singh Kirti Chakra : भारतीय सेना के शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह को देश की आजादी की 68वीं सालगिरह की पूर्वसंध्या पर पर मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। कर्नल सिंह पिछले साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। सरकार ने कर्नल सिंह के साथ रायफलमैन रवि कुमार और मेजर एम नायडू को भी मरणोपरंत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है।
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कर्नल मनप्रीत सिंह जब शहीद हुए थे तब वह 19 राष्ट्रीय रायफल्स बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। इस बटालियन के साथ उनका कार्यकाल पूरा होने में केवल 4 महीने का समय बचा था। पंजाब में चंडीगढ़ के पास स्थित भरोंजियां गांव के रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह अपने पीछे अपनी पत्नी जगमीत गिरेवाल और 2 बच्चों को छोड़ गए हैं। जगमीत हरियाणा शिक्षा विभाग में इकोनॉमिक्स की लेक्चरर हैं। उनके बेटे की उम्र छह साल और बेटी की उम्र 2 साल है।
आतंकियों की तलाश में निकले थे
जिस मुठभेड़ में कर्नल सिंह शहीद हुए थे वह अनंतनाग के कोकरनाग इलाके में हुई थी। इस दौरान आतंकियों के साथ हुए सशस्त्र टक्कर में राष्ट्रीय रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल सिंह, इसी बटालियन के मेजदर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस में डिप्टी सुपरिटेंडेंट हुमायूं मुजामिल भट बलिदान हो गए थे। बता दें कि सेना के अधिकारी इलाके में खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकियों की तलाश कर रही सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे।
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इस तरह शहीद हुए थे कर्नल सिंह
ऑपरेशन के दौरान जैसे ही वो एक इमारत के ऊपर चढ़े, वहां छिपे बैठे आतंकियों ने उन पर खुली गोलीबारी कर दी। घटना में कर्नल सिंह मौके पर ही शहीद हो गए थे। जबकि अन्य दो अधिकारी गोलियां लगने से घायल हो गए थे। उन्हें एयरलिफ्ट कर श्रीनगर के एक अस्पताल में पहुंचाया गया था। लेकिन, इलाज के दौरान दोनों ने दम तोड़ दिया था। भारतीय सेना में लगभग 17 साल सेवा देने वाले मनप्रीत सिंह के पिता का निधन हो चुका है और मां चंडीगढ़ में रहती हैं।
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