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अश्लील तस्वीरें लेते, गंदा मजाक करते थे इसलिए...4 जवानों को मारकर खेला था खूनी 'खेल', अब जेल में काटेगा जिंदगी

Bathinda Military Station Firing Case: भारतीय सेना के एक जवान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उसने 4 जवानों की हत्या की थी। करीब सवा साल बाद चली सुनवाई के बाद उसे सजा सुनाई गई और नौकरी से भी निकाल दिया गया।
08:13 AM Aug 04, 2024 IST | Khushbu Goyal
पूछताछ में हत्याकांड अंजाम देने की वजह भी देसाई मोहन ने बताई।
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Indian Army Soldier Sentenced Life Imprisonment: पंजाब के बठिंडा में मिलिट्री स्टेशन की मेस में घुसकर खूनी 'खेल' खेलने वाले गनर देसाई मोहन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया है। 12 अप्रैल 2023 की रात को इंसास राइफल से ताबड़तोड़ फायरिंग की थी और अपने 4 साथी जवानों सागर बन्ने, कमलेश आर, संतोष नागराल और योगेश कुमार की हत्या कर दी थी।

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शनिवार को जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने गनर देसाई को सजा सुनाई, जिसने पहले हत्याकांड की जांच कर रहे अधिकारियों को गलत बयान देकर बहकाया, लेकिन अपने ही शब्दों के जाल में उलझकर वह शक के दायरे में आ गया। जांच पड़ताल करने पर वही हत्यारा निकला। उसे गिरफ्तार करके केस चलाया गया और अब सवा साल बाद उसे सजा सुनाई गई।

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उत्पीड़न से परेशान होकर चारों को मारी गोलियां

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, देसाई मोहन को सजा सुनाने वाले अधिकारियों ने बताया कि मोहन पर सेना अधिनियम की धारा 69 (कोई भी व्यक्ति देश में या देश से बाहर कहीं भी कोई अपराध करता है तो उसे दोषी माना जाएगा), भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के 4 आरोपों में दोषी करार दिया गया। हथियार और गोला-बारूद की चोरी के लिए सेना अधिनियम की धारा 52 (ए) के तहत 2 मामलों में सजा सुनाई गई है।

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सूत्रों के मुताबिक, देसाई मोहन ने चारों जवानों की हत्या करने के लिए 9 अप्रैल की रात को मिलिट्री स्टेशन से ही इंसास राइफल चुराई थी। कर्नल एस दुसेजा की अध्यक्षता में उच्च अधिकारियों की बेंच ने केस में फैसला सुनाया। मोहन देसाई ने पूछताछ में बताया था कि उसने अपने चारों सहकर्मियों को इसलिए मार दिया, क्योंकि वे उसका उत्पीड़न करते थे। उसके साथ बुरा बर्ताव करके उसे तंग करते थे, इससे वह परेशान था।

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मिलिट्री स्टेशन से चुराई थी राइफल और मैग्जीन

रिपोर्ट के अनुसार, बठिंडा जिला पुलिस को वारदातस्थल से 19 खाली खोखे मिले थे। 12 अप्रैल को हत्याकांड की बठिंडा छावनी पुलिस स्टेशन में 80 मीडियम रेजिमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला की शिकायत पर FIR दर्ज की गई थी। शुरुआत में आंध्र प्रदेश निवासी देसाई मोहन हत्याकांड का गवाह बना। उसने पुलिस को बताया कि उसने सफेद कुर्ता-पायजामा पहने 2 नकाबपोश लोगों को देखा था।

एक के हाथ में इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफल और दूसरे के हाथ के कुल्हाड़ी थी। वहीं मेजर ने बताया कि 9 अप्रैल को सेना की यूनिट से इंसास राइफल और 28 कारतूसों वाली एक मैगजीन गायब हुई थी, जो हत्याकांड के दिन बठिंडा पुलिस को मिली थी। इंडियन आर्मी ने सेना अधिनियम की धारा 125 के अंतर्गत सिविल न्यायालय से मामले को अपने हाथ में ले लिया और जांच की।

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अपने ही दिए बयान में फंस गया था देसाई मोहन

सिविल पुलिस की जांच के दौरान, देसाई मोहन ने मृतकों पर यौन शोषण का आरोप लगाया। उसने यह भी आरोप लगाया कि चारों उसके मोबाइल से उसकी मंगेतर से बात करते थे, उसकी अश्लील और आपत्तिजनक तस्वीरें लेते थे। उसके साथ गंदे मजाक करते थे। आरोपी ने पुलिस और सैन्य अधिकारियों के इशारे पर फंसाए जाने का दावा भी किया है। इतना ही नहीं, उसने पुलिस या सेना के अधिकारियों के सामने कोई बयान देने से भी इनकार कर दिया था।

वहीं GCM ने उसके दावे को निराधार मानते हुए वारदातस्थल से जुटाए गए साक्ष्यों को पुलिस को दिए बयान के आधार पर उसे सभी 6 आरोपों में दोषी ठहराया। देसाई मोहन अपने ही दिए बयान में फंस गया था, क्योंकि उसने बयान दिया कि एक हमलावर ने गोलियां मारी, दूसरे से कुल्हाड़ी से वार किए, जबकि मरने वालों के शरीर पर कुल्हाड़ी से वार के निशान नहीं मिले।

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Bathinda Military Station FiringIndian Army
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