whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

मलेशिया से आया था अल्फांसो आम, दिलचस्प है नाम के पीछे की कहानी 

Interesting Facts About Alphonso Mango : अल्फांसो आम को इसके टेस्ट और खुशबू के लिए जाना जाता है। यह ऐसा आम है जो किलो में नहीं, बल्कि दर्जन में मिलता है। यह काफी महंगा होता है। अल्फांसो विदेशी नाम है और इसके नाम के पीछे भी बड़ी दिलचस्प कहानी है। जानें, कैसे पड़ा इसका नाम:
05:30 PM Jul 11, 2024 IST | Rajesh Bharti
मलेशिया से आया था अल्फांसो आम  दिलचस्प है नाम के पीछे की कहानी 
500 साल से ज्यादा पुराना है अल्फांसो आम का इतिहास।

Interesting Facts About Alphonso Mango : अल्फांसो देश का ऐसा एकमात्र आम है जो किलो के भाव नहीं, बल्कि दर्जन के भाव मिलता है। सिर्फ यही इसकी खासियत नहीं है। यह ऐसा आम है जो भारत में विदेश से आया है। इसका इतिहास करीब 500 साल से ज्यादा पुराना है। इसे हापुस या हाफूस भी कहा जाता है। इसका नाम अल्फांसो या हाफूस कैसे पड़ा, इसके पीछे भी दिलचस्प कहानी है।

पहले जानें, क्या है इस आम का खासियत

इस आम की सबसे बड़ी खासियत है कि यह पकने के बाद एक हफ्ते तक खराब नहीं होता है। इसी कारण इसे दूसरे देशों में एक्सपोर्ट करना आसान होता है। इसी क्वॉलिटी की वजह से यह आम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी मौजूद है और देश के हर हिस्से में इसकी सप्लाई की जाती है। वहीं यह आम दर्जन के हिसाब से बिकता है। एक दर्जन आम की कीमत 1200 से 2000 रुपये तक हो सकती है। इस आम की पैदावार महाराष्ट्र में ज्यादा होती है। यह रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में और इनके आसपास के इलाकों में ज्यादा पैदा होता है।

Alphonso Mango

इस आम की पैदावार महाराष्ट्र में ज्यादा होती है।

कैसे पड़ा इसका नाम अल्फांसो

इसके नाम के पीछे भी गजब कहानी है। अल्फांसो एक अंग्रेजी नाम है। बात साल 1510-1515 के आसपास की है। उस समय गोवा पर पुर्तगाल के एक वायरस ने शासन किया। उनका नाम अल्फाेंसो डी अल्बुकर्क था। अल्फाेंसो को बागवानी का काफी शौक था। इन्होंने मलेशिया से एक विशेष आम का पौधा मंगाया और गोवा में लगाया। समय के साथ इसके कई पौधे मलेशिया से मंगाए गए और यहां स्थानीय आम के बगीचों में लगाए गए।

ये आम काफी मीठे और स्वादिष्ट थे। टेस्ट के कारण इस आम को दुनियाभर में पसंद किया जाने लगा। कुछ समय बाद अल्फाेंसो डी अल्बुकर्क का निधन हो गया। चूंकि इस आम के पौधे उन्होंने ही मलेशिया से मंगवाए थे, इस कारण अल्फाेंसो को श्रद्धांजलि देने के लिए इसका नाम उन्हीं के नाम पर अल्फाेंसो रख दिया गया।

अल्फांसो ऐसे हो गया हाफूस

अल्फांसो को हाफूस या हापुस भी कहते हैं। अल्फोंसो से हाफूस का सफर भी काफी इंट्रेस्टिंग है। पहले एक छोटी सी कहानी बताते हैं। आपने यूनान के राजा अलेक्जेंडर का नाम सुना होगा। अगर आप अलेक्जेंडर को नहीं जानते तो सिकंदर का नाम तो सुना ही होगा। वैसे अलेक्जेंडर ही सिकंदर है। भारत आते-आते अलेक्जेंडर का नाम सिकंदर हो गया। ऐसा ही कुछ अल्फांसो आम के साथ हुआ। अल्फांसो को लोग समय के साथ एपस कहने लगे और जब यह महाराष्ट्र में आया तो इसका नाम हाफूस या हापुस हो गया। जैसे गंगाधर ही शक्तिमान है, वैसे ही अल्फांसो हाफूस है।

यह भी पढ़ें : भगवान श‍िव के ‘आशीर्वाद’ से खास बना ये आम, इस वजह से कहलाया लंगड़ा

यह भी पढ़ें : चौसा आम का नाम चौसा ही क्‍यों? जंग में जीत का था इनाम, पढ़ें रोचक क‍िस्‍सा

Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो