ISRO का SPADEX मिशन क्या? लॉन्चिंग आज; 5 पॉइंट्स में जानें सबकुछ
ISRO SPADEX Mission All Details in 5 Points: नए साल से पहले इसरो एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। इसरो का मोस्ट अवेटेड प्रोजेक्ट SPADEX मिशन आज लॉन्च होने वाला है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से SPADEX मिशन लॉन्च किया जाएगा। इस लॉन्चिंग के लिए आज यानी सोमवार की रात 9:58 बजे का समय निर्धारित किया गया है। यह इसरों का ऐतिहासिक मिशन साबित होगा। आइए जानते हैं कि SPADEX मिशन आखिर क्यों खास है?
SPADEX मिशन क्या है?
SPADEX मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दो सैटेलाइट्स को आपस में जोड़ने का काम करेगा। इस प्रक्रिया को डॉकिंग कहा जाता है। वहीं सैटेलाइट्स को अलग भी किया जाएगा, जिसे अनडॉक के नाम जाना जाता है।
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SPADEX मिशन क्यों खास है?
SPADEX मिशन के तहत सैटेलाइट्स को डॉक और अनडॉक किया जाता है। वर्तमान में यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास है। ऐसे में अगर इसरो का SPADEX मिशन सफल होता है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
SPADEX मिशन के फायदे
SPADEX मिशन इस साल इसरो का आखिरी मिशन है। यह मिशन कामयाब होने से भारत का नाम न सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा बल्कि इससे भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (Indian Space Centre) में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा SPADEX मिशन सफल होने के बाद भारत अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन भी स्थापित कर सकता है। साथ ही इससे चंद्रयान 4 मिशन भी काफी हद तक आसान हो जाएगा।
SPADEX मिशन की मुश्किलें
दरअसल अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) नहीं होता है। ऐसे में अंतरिक्ष की सभी चीजें तेजी से हिलती हैं और उन्हें नजदीक लाना काफी चैलेंजिंग टास्क होता है। इसलिए अगर इसरो सैटेलाइट्स को डॉक और अनडॉक करने में सफल होगा तो इससे भविष्य में कई काम आसान हो जाएंगे। मसलन अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की मरम्मत करना, ईंधन भरना और मलबा हटाना इसरों के बाएं हाथ का खेल होगा।
कैसे लॉन्च होगा SPADEX मिशन?
SPADEX मिशन को PSLV-C60 से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए 2 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पहुंचेंगी और गुरुत्वाकर्षण बल न होने के कारण दोनों सैटेलाइट्स 24 घंटे में एक-दूसरे से 20 किलोमीटर दूर हो जाएंगी। जिसके बाद इसरो डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा। ऑनबोर्ड प्रोपल्शन की मदद से धीरे-धीरे इन सैटेलाइट्स के बीच की दूरी कम की जाएगी और यह आपस में जुड़ जाएंगी। फिर दोनों सैटेलाइट्स के बीच में पावर ट्रांसफर होगी और पेलोड संचालन का इस्तेमाल करके सैटेलाइट्स को अनडॉक कर दिया जाएगा।
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