अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचेगा ISRO; स्पैडेक्स मिशन से भारत के अचीवमेंट का खास कनेक्शन
ISRO Spadex Satellites Docking Mission: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO अंतरिक्ष की दुनिया में एक और इतिहास रचने को तैयार है। भारत अंतरिक्ष में स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Spadex) करने जा रहा है। इसके लिए दोनों स्पेसक्राफ्ट तैयार हैं और दोनों एक दूसरे के 3 मीटर करीब पहुंच चुके हैं। इसरो जल्द ही दोनों स्पेसक्राफ्ट की फाइनल डॉकिंग पर फैसला लेगा।
पहले दोनों स्पेसक्राफ्ट 15 मीटर करीब आए और फिर 3 मीटर करीब आने में दोनों को सफलता मिली। इसरो ने अपने X हैंडल पर पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी। डॉकिंग होते ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत स्पेस डॉकिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब दोनों स्पेसक्राफ्ट को एक दूसरे से दूर ले जाया जा रहा है, ताकि डॉक-अनडॉक करने की क्षमता परखी जाए।
पहले 2 बार टल चुकी स्पेस डॉकिंग
इसरो ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि स्पैडेक्स मिशन के लिए भेजे गए 2 सैटेलाइट SDX01 (चेजर) और SDX02 टारगेट टेस्टिंग अटेम्पट में एक दूसरे से सिर्फ 3 मीटर की दूरी पर थे। पहले 2 बाद यह स्पेस डॉकिंग टल चुकी है और अब यह जल्दी ही पूरी हो सकती है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को दोनों अंतरिक्ष यानों को 15 मीटर की दूरी से 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता हासिल कर ली है। अब अंतरिक्ष यानों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया जा रहा है। मिशन सफल होने पर यह डॉक-अनडॉक टेक्नोलॉजी भारत के भावी मिशन जैसे चंद्रमा से नमूने वापस लाने, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी।
30 दिसंबर को लॉन्च हुआ था मिशन
बता दें कि इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को 'स्पैडेक्स' मिशन लॉन्च किया था। PSLV-C60 रॉकेट ने 220 किलोग्राम के 2 सैटेलाइट के साथ इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी और अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित कर दिया था। इन दोनों स्पेसक्राफ्ट की डॉकिंग पहले 7 जनवरी को होनी थी, लेकिन स्पीड ज्यादा होने पर हवा का रुख बदलने के कारण यह टालनी पड़ी।
फिर 9 जनवरी को डॉकिंग होनी थी, लेकिन दोनों स्पेस्क्राफ्ट के 225 मीटर की दूरी तक सुरक्षित पहुंचने के बाद इसे टाल दिया गया। अब तीसरे प्रयास में दोनों स्पेस क्राफ्ट सफलतापूर्वक 3 मीटर की दूरी पर आए और दोनों सही तरीके से काम कर रहे हैं। अब इन्हें वापस 225 मीटर की दूरी ले जाकर फिर से डॉकिंग की जाएगी और यह फाइनल डॉकिंग होगी।