पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा में क्यों मची भगदड़? क्या हाथरस जैसे हालात बने; एक की मौत और 400 से ज्यादा घायल
Jagannath Rath Yatra Stampede Latest Update: ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा में भगदड़ मच गई थी। 10 लाख से ज्यादा लोग यात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने उमड़ी है। इस बार रथयात्रा 2 दिन की है, लेकिन पहले दिन भगदड़ मचने से एक श्रद्धालु की मौत हो गई और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुरी में भी उत्तर प्रदेश के हाथरस जैसे हालात बने?
क्या पुरी में भी वही हुआ, जो हाथरस में सत्संग में हुआ था? क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार, पुरी में भगदड़ में जिस श्रद्धालु की मौत हुई, उसका दम घुटा था। सफोकेशन जैसे हालात थे, इसलिए कहा जा रहा है कि पुरी में भी हाथरस की तरह गर्मी के कारण श्रद्धालुओं को सफोकेशन हुई और वे बचने के लिए इधर उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।
भगदड़ मचने के कारण की तलाश जारी
बता दें कि भगदड़ में घायल हुए लोगों को पुरी के ही जिला अस्पताल में पहुंचाया गया। हालांकि मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाई है, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी घायलों से मुलाकात करने अस्पताल आए थे, जिन्होंने मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।
ग्रैंड रोड पर रथयात्रा में भगदड़ मची थी, जहां हालातों का जायजा लेने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मुकेश महालिंग भी पहुंचे थे। उन्होंने मीडिया को बयान दिया कि हम मृतक की पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। भगदड़ क्यों मची, इसके कारण पता लगाने के भी आदेश दिए हैं। अगर कोई अफवाह फैलाने जैसे संकेत मिले तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। घायलों को उचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाएंगी।
53 साल बाद 2 दिन की रही रथयात्रा
बता दें कि पुरी में कल जगन्नाथ रथयात्रा शुरू हुई। 53 साल बाद रथयात्रा 2 दिन की है। रथ यात्रा (गुंडिचा यात्रा) में पहांडी अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की विशाल मूर्तियों को 3 विशाल रथों पर रखा जाता है। लाखों श्रद्धालु पुरी शहर के बड़ा डांडा (ग्रैंड रोड) पर जुटते हैं और करीब 3 किलोमीटर तक रथ को खींचते हैं। मूर्तियों को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है, जिसे देवताओं का जन्म स्थान माना जाता है, जहां वे बहुदा यात्रा (वापसी रथ उत्सव) तक रहते हैं।
भगवान बलभद्र का रथ यात्रा की अगुवाई करता है, जबकि भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के रथ पीछे चलते हैं। रथ को खींचने से पहले पुरी राजघराने के वंशज विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसे छेरा पन्हारा कहते हैं। इसमें वे सोने की झाड़ू से रथों के फर्श की सफाई करते हैं। आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया से दशमी तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के यहां रहते हैं। दशमी के दिन 16 जुलाई को तीनों रथ पुरी के मुख्य मंदिर में वापस आ जाएंगे और वापसी की यात्र को बहुड़ा यात्रा कहते हैं।
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