होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

'कोर्ट में महिला वकीलों को नकाब पहन जिरह करने की परमिशन नहीं' जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

Jammu-Kashmir and Ladakh High Court: ये फैसला देने वाले जस्टिस मोक्ष खजूरिया काजमी और जस्टिस राहुल भारती ने कहा कि बीसीआई नियमों के चैप्टर IV (भाग VI) में वकीलों की ड्रेस के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
06:31 PM Dec 25, 2024 IST | Amit Kasana
Advertisement

आसिफ सुहाफ, जम्मू-कश्मीर 

Advertisement

Jammu-Kashmir and Ladakh High Court: महिला वकीलों को अपना चेहरा ढककर अदालत में बहस करने की अनुमति नहीं है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने एक मामले में ये आदेश दिया है। दरअसल, कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के ड्रेस कोड नियमों का हवाला देते हुए ये फैसला दिया है।

कोर्ट में महिला वकीलों की ड्रेस कोड को लेकर ये हैं नियम 

ये फैसला देने वाले जस्टिस मोक्ष खजूरिया काजमी और जस्टिस राहुल भारती ने कहा कि बीसीआई नियमों के चैप्टर IV (भाग VI) में वकीलों की ड्रेस के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने अपने आदेश में आगे स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार महिला वकील कोर्ट में महिलाएं काले रंग की पूरी बाजू की जैकेट या ब्लाउज़, सफ़ेद बैंड, साड़ी या अन्य पारंपरिक कपड़े पहन सकती हैं। इसके अलावा महिला वकील काला कोट भी पहन सकती हैं।

Advertisement

ये था पूरा मामला 

दरअसल, अदालत में यह मुद्दा तब उठा जब एक मामले में एक महिला वकील पीठ के सामने चेहरा ढककर पेश हुई। जब उससे पहचान के उद्देश्य से इसे हटाने के लिए कहा गया, तो उसने दावा किया कि ऐसा करने का उसका मौलिक अधिकारों के तहत संरक्षित है। इसके बाद अदालत को हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अधिवक्ताओं पर लागू ड्रेस कोड के संबंध में नियमों को लेकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।

न्यायिक कार्यवाही की पवित्रता के लिए अधिवक्ताओं की स्पष्ट पहचान जरूरी

अपने आदेश में जस्टिस काज़मी ने ज़ोर देते हुए कहा कि नियमों में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस अदालत के समक्ष पेश होने के लिए इस तरह की कोई पोशाक (चेहरा ढकना) स्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्यवाही की पवित्रता बनाए रखने के लिए उपस्थित सभी अधिवक्ताओं की स्पष्ट पहचान की आवश्यकता होती है।

ये भी पढ़ें:  राजधानी दिल्ली में संसद भवन के बाहर सुसाइड की कोशिश, युवक ने पेट्रोल छिड़क खुद को आग लगाई

Open in App
Advertisement
Tags :
Court News
Advertisement
Advertisement