अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ तिहाड़ जेल में चल सकता है ट्रायल! CBI ने खटखटाया SC का दरवाजा
Jammu Kashmir Leader Yasin Malik:(प्रभाकर मिश्रा, दिल्ली) इंडियन एयर फोर्स के जवानों की हत्या और रुबिया सईद के अपहरण के मामले में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ तिहाड़ जेल में ट्रायल चल सकता है। CBI की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की पूरी सुविधा उपलब्ध है। वहां कोर्ट लगता रहा है। पहले भी कई मामले की सुनवाई होती रही है।
CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की अर्जी
CBI ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ ट्रायल को जम्मू के बजाए तिहाड़ जेल में मौजूद कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। 2022 में जम्मू की निचली अदालत ने इंडियन एयर फोर्स के चार जवानों की हत्या और रुबिया सईद के अपहरण के मामले में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था। जम्मू कोर्ट के इस आदेश को CBI ने चुनौती देते हुए कहा है कि यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी से राज्य का माहौल बिगड़ सकता है और मामले से जुड़े गवाहों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यासीन मलिक जम्मू कश्मीर में इंडियन एयर फोर्स के चार जवानों की हत्या और रुबिया सईद के अपहरण के मामले में वहाँ की निचली अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
जम्मू कश्मीर में टाडा कोर्ट ने मलिक को व्यक्तिगत पेशी के लिए समन जारी किया था। यासीन मलिक भी जम्मू कश्मीर में निचली अदालत में पेश होकर अपनी पैरवी करना चाहता है। CBI ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। CBI की दलील है कि यासीन मलिक कोई आम आतंकवादी नहीं है। यासीन मलिक लगातार पाकिस्तान जाता रहा है, हाफिज सईद के साथ उसने मंच साझा किया है। उसके जम्मू कश्मीर जाने से वहां का माहौल बिगड़ सकता है। गवाहों को सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अर्जी पर यासीन मलिक और इस केस में बाकी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने टिप्पणी में कहा था आतंकी अजमल कसाब को भी देश में फेयर ट्रायल का मौका दिया गया था। जस्टिस ओका ने इस दौरान कहा था कि अगर जेल में ट्रायल चलाए जाने का ऑप्शन है तो उस ऑप्शन को भी देखा जा सकता है। इस मामले में जितने भी आरोपी हैं उन सभी को आदेश से पहले सुना जाना जरूरी है।
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