26 रिश्तेदार बह गए, लाशें तक नहीं मिली; वायनाड लैंडस्लाइड में परिवार को खोने वाले शख्स ने सुनाई आपबीती
Kerala Wayanad Landslide Survivor Story: केरल के वायनाड में 30 जुलाई की सुबह हुए लैंडस्लाइड में एक शख्स ने अपने 26 रिश्तेदार खो दिए। अपने भाई और अन्य रिश्तेदारों को मलबे की खुदाई करके तलाश रहे शौकत से जब बात की गई तो वह फूट-फूट कर रोने लगा। उसने कहा कि जब उसे वायनाड में अपने गांव मुंडक्कई में लैंडस्लाइड होने की खबर मिली तो वह कतर से आया। उसकी पत्नी और बेटे की जान बच गई, क्योंकि लैंडस्लाइड होते ही वे पहाड़ी की ओर भाग गए थे, लेकिन उसके भाई और बाकी रिश्तेदारों की अभी तक लाशें भी नहीं मिली हैं। शौकत ने बताया कि वह 30 साल केरल में माइनिंग ऑपरेटर रहा। इसलिए वह अपने रिश्तेदारों की तलाश मलबे में खुद कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी का कोई सुराग नहीं लगा।
सरकार से माइनिंग मशीन लेकर कर रहा तलाश
बता दें कि 2 बार लैंडस्लाइड के बाद 4 गांव कीचड़ और मलबे के नीचे दब गए। मरने वालों की संख्या 325 पार कर गई है। सरकार ने लापता 200 से ज्यादा लोगों में से किसी के बचने की उम्मीद नहीं जताई है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कहते हैं कि मुंडक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला गांवों से शव निकाले जाने हैं, जिन्हें तलाशने के लिए डीप सर्च रीडर मंगवाए गए हैं। शौकत नामक शख्स ने अपने 26 रिश्तेदार खो दिए हैं। उसका 2 मंजिला मकान भी ध्वस्त हो गया। अब उसके सिर पर छत तक नहीं है। वह कतर से आया है और उसने सरकार ने अपील करके एक माइनिंग मशीन मांगी, ताकि वह भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर सके, लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहा है। भूस्खलन के कारण इरुवाझिनजी नदी पर बना पुल भी बह गया, जिससे बचावकर्मियों को मुंडक्कई तक पहुंचने में परेशानी हुई।
अब डीप सर्च रीडर मशीन करेगी शवों की तलाश
बता दें कि केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात को भारी बारिश के कारण 2 बार लैंडस्लाइड हुआ। मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव मलबे के नीचे दब गए। 5 दिन से NDRF, SDRF, पुलिस, आर्मी, एयरफोर्स, नेवी की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। 5 दिन में 340 लाशें मिली चुकी हैं। 145 शवों की शिनाख्त हो चुकी है। 134 लोगों की लाशें टुकड़ों में मिलीं। 200 से ज्यादा लोग लापता हैं। मलबा करीब 20 से 30 फीट गहरा है और उसके नीचे लाशें दबी हैं, जिनका पता लगाने के लिए केरल सरकार ने डीप सर्च रीडर मंगवाए हैं, क्योंकि अब किसी के बचने की उम्मीद नहीं है। डीप सर्च रीडर करीब 80 मीटर की गहराई तक इंसान के होने का पता लगाने में सक्षम है। एवलांच के बाद बर्फ के नीचे दबे लोगों की तलाश इसी से की जाती है।