देश के इस राज्य में मचा हाहाकार! गले की बीमारी फैली, एक दिन में 190 केस, जानें क्या है बीमारी और लक्षण?
Kerala Witnesses Mumps Disease Outbreak: देश के समुद्री तटीय राज्य केरल में आजकल हाहाकार मचा हुआ है। गले से जुड़ी एक बीमारी फैल रही है, जिसे कंठमाला या गलसुआ भी कहते हैं। इस बीमारी के कारण लोगों दिमाग में सूजन आ गई है। उनकी सुनने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। पुरुषों के अंडकोषों में जलन जैसे लक्षण देखने को मिला रहे हैं। बीमारी इस तरह से फैल रही है कि राज्य में एक दिन में 190 से ज्यादा केस सामने आए।
10 मार्च (रविवार) को यह रिकॉर्ड दर्ज किया गया। केरल स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने वायरल संक्रमण के 2,505 मामले सामने आ चुके हैं। साल 2024 के पहले 2 महीने में इस बीमारी के 11,467 मरीज सामने आ चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने केरल में बीमारी फैलने की पुष्टि की है। मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र को अलर्ट भी कर दिया गया है।
छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभाावित करती संक्रामक बीमारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गलसुआ बीमारी पैरामिक्सो वायरस के कारण फैलती है, जो संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने या खांसने से हवा में फैलता है। यह संक्रामक रोग है, इसलिए यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैलता है। बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 2 से 4 सप्ताह लगते हैं। शुरुआत में हल्का बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। बीमारी का सबसे खास लक्षण गल की ग्रंथियों की सूजन है।
यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन किशोर और वयस्क भी इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं। केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, बीमारी के ज्यादातर केस मलप्पुरम जिले और उत्तरी केरल के अन्य हिस्सों से देखने को मिल रहे हैं। हालांकि खसरा और रूबेला के साथ गलसुआ की बीमारी को ठीक करने के लिए भी इंजेक्शन और दवाई देश में उपलब्ध है, लेकिन लेकिन यह सरकार के टीकाकरण अभियान का हिस्सा नहीं है।
सरकारी टीकाकरण प्रोग्राम का हिस्सा नहीं बीमारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में उपरोक्त तीनों बीमारियों से जुड़ी दवाई और इंजेक्शन उपलब्ध हैं। बेशक लोगों ने बच्चों को टीकाकरण प्रोग्राम के तहत खसरा-रूबेला (MR) का टीका लगवा लिया हे, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में लोग गलसुआ का इंजेक्शन भी लगवा सकते हैं।
दूसरी ओर, विशेषज्ञों का कहना है कि इसे सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में गलसुआ की वैक्सीन शामिल करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि यह गलसुआ बीमारी से इतनी राहत प्रदान नहीं करता, जितनी खसरा और रूबेला की वैक्सीन करती है। 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को केवल 2 खुराक देकर संरक्षित किया जा सकता है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर टीकाकरण विशेषज्ञ ने कहा कि मलप्पुरम एक ऐसा जिला है, जहां टीकाकरण को लेकर लोगों में झिझक रहती है। उन्होंने सरकारी टीकाकारण प्रोग्राम की जानकारी भी नहीं है और इसके फायदों के बारे में भी वे जागरूक नहीं हैं।