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कोलकाता रेप-मर्डर केस में बोलीं निर्भया की मां, कहा ''ऐसी घटनाएं तब तक होती रहेंगी...''

Kolkata Rape Murder Case: 'निर्भया' की मां आशा देवी ने पश्चिम बंगाल की सीएम कोलकाता के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि ''वो आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले में जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही हैं।''

Kolkata Rape Murder Case: दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 में निर्भया रेप केस के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। देश में हर तरफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। एक बार फिर से भारत देश के ऐसे ही हालात बन गए हैं, कोलकाता में दिल्ली के जैसा ही निर्भया कांड हुआ है। इस मामले कई लोग ममता सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में निर्भया' की मां आशा देवी ने भी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को घेरा है। उन्होंने ममता के इस्तीफे की मांग करते हुए दावा किया है कि सीएम हालातों को संभालने में नाकाम रही हैं।

मीडिया से बात करते हुए आशा देवी ने कहा कि ''एक महिला के रूप में, उन्हें (बनर्जी को) राज्य के प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। हालात को संभालने में विफल रहने के लिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।"

जनता को किया जा रहा गुमराह- आशा देवी

निर्भया और ट्रेनी डॉक्टर के इस केस में कई समानताएं बताई जा रही हैं। आशा देवी जो अपनी बेटी को खोने का गम झेल चुकी हैं, उनका अब इस मामले पर रिएक्शन आया है। इस दौरान उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा 'न्याय' की मांग के विरोध मार्च का जिक्र किया।

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आशा देवी का कहना है ''अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने अधिकार का उपयोग करने के बजाय ममता बनर्जी लोगों का ध्यान मुद्दे से हटाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।'' आशा देवी ने आगे कहा कि ''ऐसी घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक केंद्र और राज्य दोनों सरकारें बलात्कारियों के लिए अदालतों से तुरंत सजा को लेकर गंभीर नहीं हो जातीं हैं।"

क्या था निर्भया केस?

16 दिसंबर 2012 की रात को निर्भया अपने दोस्त के साथ बस में बैठी जहां पर उनक सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस घटना पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर को एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। इस केस में सभी को गिरफ्तार करके सजा दी गई। छह दोषियों में से एक को सितंबर 2013 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में लटका हुआ पाया गया था, जबकि एक जो अपराध के समय नाबालिग था, उसको सुधार गृह में तीन साल बिताने के बाद दिसंबर 2015 में रिहा कर दिया गया था। चार अन्य दोषियों को मार्च 2020 में फांसी दे दी गई थी।

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