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La Nina Effect: मार्च से पहले डवलप होगा ला नीना, सर्दी पड़ेगी या सताएगी गर्मी? जानें क्या होगा असर

La Nina Effect: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने लाल नीना का अपडेट दिया है। जानकारी के अनुसार, अगले तीन महीनों में ला नीना की स्थिति विकसित हो सकती है।
10:29 PM Dec 11, 2024 IST | Pushpendra Sharma
फाइल फोटो (ANI)
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La Nina Effect: देश के कई हिस्सों में मौसम लगातार बदल रहा है। उत्तर भारत में ठंड बढ़ती जा रही है। इस बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने लाल नीना की स्थिति के बारे में पूर्वानुमान बताया है। WMO ने बुधवार को कहा कि अगले तीन महीनों में ला नीना की स्थिति डवलप हो सकती है। हालांकि यह चरण कमजोर और शॉर्ट टर्म के लिए रहने की उम्मीद है। ला नीना स्थितियों में संक्रमण की 55% संभावना है।

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क्या है ला नीना? 

WMO के पूर्वानुमानों के मुताबिक, ENSO-तटस्थ स्थितियों की वापसी फरवरी-अप्रैल 2025 के दौरान फिर से होने की संभावना है, जिसकी लगभग 55% संभावना है। ला नीना का अर्थ मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में होने वाली गिरावट है। ला नीना एक जलवायु घटना है जो तब होती है जब मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान औसत से कम होता है। यह हवाओं, दबाव और वर्षा से भी जुड़ा है।

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ला नीना मजबूत मानसून, औसत से ज्यादा बारिश और भयंकर सर्दियों से है। ला नीना के 55 प्रतिशत असर से इन स्थितियों में अंतर आ सकता है। माना जा रहा है कि इस बार दिसंबर, जनवरी और फरवरी में भयंकर ठंड पड़ सकती है। वहीं, दूसरी ओर, एल नीनो इसके विपरीत है। भारत में अल नीनो को गर्मी और कमजोर मानसून से जोड़कर देखा जाता है।

साल की शुरुआत ला नीना से हुई 

WMO के अनुसार, ला नीना और एल नीनो की वजह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। इससे मौसमी वर्षा और तापमान पैटर्न पर प्रभाव पड़ रहा है। WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो के अनुसार, साल 2024 की शुरुआत अल नीनो के साथ हुई थी। इस तरह यह अब तक का सबसे गर्म साल भी हो सकता है।

कई बार गलत साबित हो रहे हैं पूर्वानुमान 

सेलेस्टे साउलो के अनुसार, मई से अल नीनो या ला नीना की स्थिति न होते हुए भी हमने चरम मौसम की घटनाओं की एक असाधारण श्रृंखला देखी है। जिसमें रिकॉर्ड वर्षा और बाढ़ शामिल है। हालांकि इस साल जुलाई से ही कई मौसम मॉडल ला नीना के उभरने की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन वे सभी बार-बार गलत साबित हो रहे हैं।

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