Lakshadweep Results 2024: सांसद ने ही 10 बार के MP के दामाद को मारने की रची साजिश! अब साले ने लिया जीजा पर हमले का बदला
Lakshadweep Lok Sabha Results 2024 Live Updates: पीएम मोदी ने जिस लक्षद्वीप की तारीफें कर एक पड़ोसी मुल्क की चूलें हिला दी थीं। वो लोकसभा सीट आज फिर से चर्चा में है। कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर एक बार फिर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। मगर बात सिर्फ जीत और हार की ही नहीं है। कुछ और भी है। इसके इतिहास में जाएंगे तो कहानी पूरी फिल्मी लगेगी। यहां से दो बार के एनसीपी के मौजूदा सांसद मोहम्मद फैजल पदीपुरा को हार का सामना करना पड़ा है।
सांसद को मिली 10 साल की सजा
जीत-हार का मार्जिन बताने से पहले चलिए 16 साल पीछे की ओर चलते हैं। लक्षद्वीप से लगातार 10 बार सांसद रहे पी.एम. सईद के दामाद मोहम्मद सालीह की हत्या का प्रयास किया गया। मुकदमा चला मोहम्मद फैजल के खिलाफ। पिछले साल 2023 को 11 जनवरी को उन्हें सांसद रहते हुए 10 साल की सजा सुना दी गई। फिर जनप्रतिनिधि कानून के तहत लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी। उप चुनाव का ऐलान भी हो गया।
केरल हाईकोर्ट पहुंचा मामला
इसी बीच राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने का मामला तूल पकड़ने लगा। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सजा निरस्त कर दी गई और फिर से उनकी सदस्यता बहाल करने की सिफारिश की गई। मगर बाद में केरल हाईकोर्ट ने सजा को निरस्त करने की याचिका को खारिज कर दिया। मोहम्मद फैजल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से उन्हें झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने सजा को निरस्त करने वाले फैसले को रद्द कर दिया और फैजल को सजा सुना दी।
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लेकिन नहीं हुए उपचुनाव
मगर चुनाव में एक ही साल बचा था, तो अदालत ने सांसदी रद्द करने से इनकार कर दिया। इस वजह से उप चुनाव कराने का फैसला नहीं लिया गया। अदालत ने साफ कह दिया कि देश की खातिर चुनाव रद्द नहीं किए जा रहे हैं।
अब साले ने लिया जीजा का बदला
अब कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद हमदुल्ला सईद ने फैजल को 2647 वोट से हरा दिया। हमदुल्ला लोकसभा में रिकॉर्ड बनाने वाले पी.एम.सईद के बेटे हैं। अब उन्होंने दो बार के सांसद को हराकर पिता की सीट तो वापस ली ही, साथ ही अपने जीजा मोहम्मद सालीह पर हुए जानलेवा हमले का भी बदला ले लिया।
पिता को हराना था नामुमकिन
1967 में लक्षद्वीप में पहली बार चुनाव हुए थे। तब पी.एम. सईद निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 तक लगातार 10 बार जीतते चले गए। मगर 2019 में उन्हें महज 71 वोट से हार का सामना करना पड़ा। दुख की बात यह है कि इसके महज कुछ महीने बाद ही उनका निधन हो गया।
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