पाकिस्तान के पहले PM Liyakat Ali Khan कौन? संभल के बाद यूपी में एक और मस्जिद पर छिड़ा विवाद
Pakistan PM Liyakat Ali Khan Profile: संभल की शाही जामा मस्जिद विवाद के बाद उत्तर प्रदेश में एक और मस्जिद पर बवाल खड़ा हो गया है। यह मस्जिद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के नाम पर है। यूपी के मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद यह मस्जिद 0.082 हेक्टेयर में फैली है। तो आइए जानते हैं यह पूरा विवाद आखिर क्या है? और पाकिस्तान के पूर्व पीएम से इस मस्जिद का क्या कनेक्शन है?
लियाकत अली खान कौन?
लियाकत अली खान को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है। हालांकि उनका जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। 1 अक्टूबर 1895 को जन्में लियाकत अली खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की।
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कांग्रेस में हुए शामिल
लियाकत अली खान ने अपने सियासी सफर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से की थी। हालांकि बाद में उन्होंने मुस्लिम लीग ज्वॉइन कर ली। मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर उन्होंने पाकिस्तान की मांग रखी और बंटवारे के बाद वो पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने।
गोली मारकर की गई हत्या
लियाकत अली खान ने जब पाकिस्तान की संसद में पहला बजट प्रस्तुत किया, तो लोगों ने इसे Poor Man budget करार दिया। 16 अक्टूबर 1951 को लियाकत अली खान एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। तभी उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये गोली किसने और क्यों चलवाई, यह सवाल आज भी राज बना हुआ है।
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यूपी में भी है प्रॉपर्टी
बंटवारे से पहले लियाकत अली खान और उनके परिवार की यूपी समेत कई जगहों पर ढेर सारी संपत्तियां थीं। हालांकि बंटवारे के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान चले गए और यहां मौजूद उनकी प्रॉपर्टीज को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। वहीं मुजफ्फरनगर में लियाकत अली खान के भाई सज्जाद अली खान की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा किया और वहां लियाकत अली के नाम की मस्जिद बना दी। आसपास की जगहों पर दुकानें खुल गईं।
क्या है पूरा विवाद?
इसी मस्जिद के खिलाफ डेढ़ साल पहले अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण से परमीशन लिए बगैर ही यहां पर मस्जिद बना दी गई। 18 महीने की जांच के बाद ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई। गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को लखनऊ भेजा और इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था।
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