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Lok Sabha Election: जब एक सीट से चुने जाते थे दो सांसद, कब-कब हुआ ऐसा?

Lok Sabha Election 1951-52: देश में एक दौर ऐसा था, जब एक सीट पर दो-दो सांसद चुने जाते थे। चुनने में यह भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है। ऐसा कब और क्यों हुआ, आइए जानते हैं..
11:43 AM Mar 17, 2024 IST | Achyut Kumar
Lok Sabha Election 1951-52: जब एक सीट से चुने जाते थे दो सांसद
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Lok Sabha Election 1951-52: लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो गया है। चुनाव 7 चरण में होंगे। नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव कुल 543 संसदीय सीटों के लिए होगा। प्रत्येक सीट से एक सांसद चुने जाएंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि अपने देश में पहले एक सीट से दो या तीन सांसद चुने जाने थे। चौंक गए न... लेकिन यह सही है। ऐसा कब हुआ है, आइए जानते हैं...

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पहली बार कब एक सीट पर चुने गए दो सांसद?

दरअसल, देश को आजादी मिलने के बाद 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ, जिसमें कुल 2राज्यों की 400 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले गए। इन सीटों में से 314 सीटों पर तो एक सांसद चुने गए, लेकिन बाकी 86 सीटों पर दो-दो सांसद चुने गए। इसमें से एक सांसद जनरल कैटेगरी से और दूसरा सांसद अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग से होता था। बंगाल में एक सीट पर तो तीन सांसद चुने गए थे। वहीं, 1952-57 में 403 सीटों में से 91 सीटों पर दो सांसद चुने गए।

एक सीट पर दो सांसद क्यों चुने जाते थे?

दरअसल, एक सीट पर दो सांसद इसलिए चुने गए थे, ताकि दलित और आदिवासी समुदाय को लोकसभा में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। हालांकि, यह व्यवस्था केवल पहले दो चुनावों 1951-52 और 1957 तक ही रही। इसके बाद इसे 1961 में खत्म कर दिया गया। इसकी जगह अलग-अलग सामान्य और आरक्षित सीटों की व्यवस्था की गई।

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किस राज्य में सबसे ज्यादा दो-सांसदों वाली सीट थी?

उत्तर प्रदेश में 1951-52 में दो-सांसदों वाली सीटें सबसे ज्यादा थीं। यहां कुल 17 सीटें थीं। यूपी के बाद मद्रास में 13, बिहार में 11 और बॉम्बे में 8 दो-सांसदों वाली सीटें थीं। जब भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो कुल सीटों की संख्या बढ़कर 494 हो गई। इसके बाद यूपी में 18, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और बॉम्बे में 8-8 और मद्रास में 7 दो सांसदों वालों सीटें थीं।

1951-52 में किस राज्य में कितनी दो-सांसदों वाली सीटें थी?

लोकसभा में कुल कितने सीटें हैं?

बता दें कि 1962 में जब दो-सांसदों वाली व्यवस्था को खत्म किया तो उस समय लोकसभा सीटों की संख्या 494 थीं। इसमें जनरल कैटेगरी की 494, एससी की 79 और एसटी की 30 सीटें थीं। मौजूदा समय में लोकसभा सीटों की संख्या 543 है। अब एससी के लिए 84 और एसटी के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। अगर एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को मिला दें तो लोकसभा सीटों की संख्या 545 हो जाती है।

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