चुनाव आयोग का बुजुर्गों को झटका, Lok Sabha Election 2024 से पहले पोस्टल बैलेट के लिए बदला उम्र का नियम
New Minimum Age Rule to Cast Postal Ballots: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने बुजुर्गों को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, सरकार ने पोस्टल बैलेट से मतदान करने की न्यूनतम उम्र सीमा बढ़ा दी है। अब 85 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्ग ही घर बैठे मतदान कर सकेंगे। इससे नीचे की उम्र वाले बुजुर्गों को अब वोट डालने के लिए मतदान केंद्र तक ही जाना पड़ेगा।
पहले पोस्टल बैलेट करने की उम्र 80 साल थी, लेकिन 2019 और 2023 के विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ आकर मतदान करने वाले बुजुर्गों की ज्यादा संख्या को देखते हुए चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से पोस्टल बैलेट करने की उम्र में बदलाव करने की सिफारिश की, जिसे मानते हुए सरकार ने चुनाव संचालन नियम 1961 में संशोधन किया।
चुनाव आयोग जारी कर चुका वोटर्स रिवीजन रिपोर्ट 2024
कानून मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी करके देशवासियों को संशोधन के बारे में बता भी दिया है। वहीं उम्र को लेकर किए गए बदलाव अप्रैल-मई 2024 में होने वाले लोकसभा और 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में लागू होगा। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू कर रखी हैं। डिजिटल-फिजिकल अवेयरनेस कैंपेन चल रहे हैं।
चुनाव आयोग ने X हैंडल पर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए को हैशटैग के साथ 'चुनाव का पर्व और देश का गर्व' नाम दिया हुआ है। बता दें कि चुनाव आयोग ने गत 9 फरवरी को 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के वोटर्स की रिवीजन रिपोर्ट 2024 जारी की थी। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जानें देश में वोटर्स से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट...
- लोकसभा चुनाव 2024 में देश के 97 करोड़ वोटर्स मतदान करेंगे।
- 1.85 करोड़ लोगों की उम्र 80 साल से ज्यादा है।
- 100 साल या उससे ज्यादा उम्र के वोटर्स 2.38 लाख हैं।
- 2.63 करोड़ से ज्यादा नए वोटर्स बने हैं। 1.41 करोड़ नई महिला वोटर्स हैं।
- 88.35 लाख दिव्यांग वोटर्स हैं। 17 साल से ज्यादा उम्र के 10.64 लाख वोटर्स हैं।
चुनाव आयोग की राजनीतिक दलों को चेतावनी
चुनाव आयोग ने एक एडवाइजरी जारी के लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दलों को कुछ चेतावनियां दी है। चुनाव आयोग का निर्देश है कि चुनाव प्रचार मर्यादा में रहकर किया जाएगा। आचार संहिता का उल्लंघनों करने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, इसलिए एहतियात बरतें। जाति, धर्म, भाषा के नाम पर वोट मांगने की कोशिश भी न करें। लोगों की धार्मिक आस्था और भावनाओं का मजाक न उड़ाएं। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य किसी धार्मिक स्थल पर चुनाव प्रचार नहीं होना चाहिए।