ससुर की पार्टी पर किया कब्जा, खुद बन गए CM; कौन है यह 'दामाद'?
N Chandrababu Naidu TDP: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 370 और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए 400 पार का नारा दिया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी ने दक्षिण भारत में अपना फोकस बढ़ा दिया है। यहां बीजेपी स्थानीय दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने जा रही है। अगर बात आंध्र प्रदेश की करें तो यहां बीजेपी ने एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीडीपी चंद्रबाबू नायडू के ससुर की पार्टी है। उन्होंने इस पर कब्जा जमा लिया है। यह पूरी कहानी क्या है, आइए विस्तार से जानते हैं...
एनटी रामाराव ने 1983 में किया टीडीपी का गठन
दरअसल, एनटी रामाराव ने 1983 में टीडीपी का गठन किया था। पार्टी के गठन के 9 महीने बाद वे अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह पहली बार था, जब राज्य में कोई गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी। रामाराव 1995 में मुख्यमंत्री पद पर काबिज थे। उसी दौरान उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने बगावत कर दी, जिसकी वजह से उन्हें सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी। नायडू को कई विधायकों का साथ मिला। कहा जाता है कि इस घटना के कुछ ही समय बाद 1996 में रामाराव का निधन हो गया। इसके बाद नायडू का टीडीपी पर पूरी तरह कब्जा हो गया। इस घटना को किसी पार्टी के भीतर हुआ सबसे बड़ा उलटफेर माना जाता है।
पहली बार 1995 में सीएम बने नायडू
- चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को हुआ। वे मौजूदा समय में आंध्र प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
- नायडू 2004 से लेकर 2014 तक भी नेता प्रतिपक्ष रहे। वे पहली बार 1 सितंबर 1995 में 45 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने। इस पद पर वे 2004 तक रहे।
- नायडू ने अपना राजनीतिक करियर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से शुरू किया था। उन्हें 1978 में पहली बार विधायक चुना गया। उन्होंने 1980 से लेकर 1982 तक मंत्री के रूप में काम किया। इसके बाद वे अपने ससुर एनटी रामाराव की पार्टी टीडीपी में शामिल हो गए।
- नायडू 1989 से लेकर 1995 तक फिर विधायक रहे। उन्हें 1986 में टीडीपी का महासचिव बनाया गया था।
नायडू से बदला लेने की रामाराव ने खाई थी कसम
चंद्रबाबू नायडू ने रामाराव के खिलाफ टीडीपी में बागवत कर दी और खुद मुख्यमंत्री बन गए। यह विरोध रामाराव की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती के पार्टी और सरकार में बढ़ते दखल की वजह से हुई। नायडू पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहे। इससे रामाराव बेहद नाराज हुए। उन्होंने नायडू से बदला लेने की कसम खाई।
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रामाराव ने खुद बताया 'शाहजहां'
रामाराव ने खुद को शाहजहां बताया, जिसे उसके बेटे ने कैद कर लिया था। जब रामाराव का निधन हुआ तो पार्वती ने पार्टी पर नायडू के दावे का विरोध किया। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नायडू की टीडीपी पर पकड़ काफी मजबूत हो गई थी। नायडू 2014 से 2019 तक फिर से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
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