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दाऊद की बेटी का लहंगा, 4 करोड़ की फिरौती... MP में दर्जी की गिरफ्तारी से कैसे हुआ अंडरवर्ल्ड का पर्दाफाश

Dawood's Daughter's Gown Story: दाऊद इब्राहिम की बेटी के लहंगे की सिलाई करने वाले दर्जी और 2005 के इंदौर अपहरण कांड का एक खास कनेक्शन था। इसी कनेक्शन के जरिए पुलिस ने मध्य प्रदेश में अंडरवर्ल्ड की दुनिया का पर्दाफाश किया।
09:35 AM Aug 19, 2024 IST | Nandlal Sharma
2005 के इंदौर अपहरण केस में दाऊद की बेटी के लहंगे से कनेक्शन की दिलचस्प कहानी पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अपनी किताब में बयान की है।
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Dawood's Daughter's Gown Story: मध्य प्रदेश में दाऊद का नेटवर्क कैसे काम करता था और किस तरह इसका पर्दाफाश हुआ। इस कहानी से पर्दा उठाती है पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ शैलेंद्र श्रीवास्तव की किताब 'शैकल द स्टॉर्म'। श्रीवास्तव ने अपनी किताब में लिखा है कि 2005 के इंदौर किडनैपिंग केस और दाऊद की बेटी माहरुख के लहंगे की सिलाई करने वाले दर्जी के बीच एक खास कनेक्शन था। इस कनेक्शन का पता तब चला जब किडनैपिंग केस में दर्जी की गिरफ्तारी हुई।

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2005 का इंदौर अपहरण कांड

पूर्व आईपीएस अधिकारी लिखते हैं कि दाऊद इब्राहिम की बेटी माहरुख ने जुलाई 2005 में मक्का में हुई अपनी शादी में जो लहंगा (गाउन) पहना था, उसकी सिलाई मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के रहने वाले दर्जी इस्माइल खान ने की थी।

माहरुख की शादी को महज एक महीने भी नहीं हुए थे कि इंदौर के बड़े सीमेंट निर्माता नितेश नागौरी के 20 वर्षीय बेटे का अपहरण हो गया। बदले में 4 करोड़ की फिरौती मांगी गई। लेकिन पुलिस ने सक्रियता दिखाई और कुछ आरोपियों को पकड़ने के साथ नागौरी के बेटे को छुड़ा लिया।

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इस्माइल, आलम और दाऊद

जांच के दौरान सामने आया कि मामले में दर्जी इस्माइल खान संलिप्त है। दरअसल इस्माइल, आफताब आलम के लिए काम करता था। आलम, दाऊद का खास गुर्गा था और नागौरी के बेटे कि फिरौती में दाऊद का भी हिस्सा था।

इस्माइल को दाऊद का ऑफर

पुलिस का मानना था कि अपहरण के बाद फरार हो गए इस्माइल खान को भी फिरौती का बड़ा हिस्सा मिलने वाला था। साथ ही दुबई में नौकरी का ऑफर था, जबकि दाऊद की बेटी के लहंगे की सिलाई के लिए उसे 1 करोड़ रुपया अलग से मिलने वाला था।

नागौरी के बेटे के अपहरण की घटना के बाद आफताब आलम और इस्माइल खान फरार रहे और लगभग दो दशक तक पुलिस की पहुंच से दूर रहे।

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कैसे खुला नागौरी के बेटे का केस

सितंबर 2005 में पुलिस ने नितेश नागौरी के दोस्त ध्रुव और उसके सहयोगी गौरव को गिरफ्तार किया। इन दोनों पर नागौरी के बेटे के अपहरण में इस्माइल की मदद का आरोप था। पूछताछ में ध्रुव ने कबूल किया कि इस्माइल ही मास्टरमाइंड है। इसके बाद पुलिस ने मध्य प्रदेश में अंडरवर्ल्ड की दुनिया का पर्दाफाश किया।

आफताब आलम की भूमिका

जांच में पता चला कि आफताब आलम 1997 में मुंबई से फरार हुआ था और खाड़ी देशों में बैठकर नागौरी के बच्चे की किडनैपिंग को ऑपरेट कर रहा था। आफताब के मामले में संलिप्त होने की वजह से केस उलझ गया और पुलिस ने इंटरपोल को अलर्ट किया। इस्माइल के साथ अन्य संदिग्धों रंधावा और इब्राहिम की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किए गए।

छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम की अदावत

डॉक्टर श्रीवास्तव की किताब 2005 के इंदौर अपहरण केस से आगे जाकर मध्य प्रदेश में अंडरवर्ल्ड के ऑपरेशंस पर बात करती है। साथ ही छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम की अदावत को भी कहानियों के जरिए पाठकों के सामने रखती है।

पूर्व आईपीएम ऑफिसर ने अपनी किताब में विक्की मल्होत्रा का खास जिक्र किया है। मल्होत्रा छोटा राजन गैंग का खास गुर्गा था। इसे मुंबई पुलिस ने इंदौर के एक फिरौती केस में मिले नंबर के बाद गिरफ्तार किया था।

विक्की मल्होत्रा का असली नाम विजय कुमार यादव था। छोटा राजन गैंग का ये खास गुर्गा दाऊद इब्राहिम पर कई बार हमले कर चुका था, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाया।

विक्की मल्होत्रा और दाऊद

विक्की मल्होत्रा ने ही कराची में दाऊद की बिटिया को दफनाए जाने के दौरान उस पर हमला किया था। इसके अलावा एक हमला दुबई में किया था। सबसे खास कहानी उसके विजय कुमार से विक्की मल्होत्रा बनने के बारे में है। किताब बताती है कि किस तरह बंगाल के मुर्शिदाबाद का एक चोर अंडरवर्ल्ड की दुनिया में आया और तीन मौकों पर दाऊद इब्राहिम का काम तमाम करने से चूक गया।

किताब इंदौर रेंज के आईजी रहने के दौरान डॉ श्रीवास्तव के अनुभवों पर भी बात करती है। साथ ही 2006 के भोजशाला दंगे, सिमी और सांप्रदायिक तनाव से निपटने के अनुभवों को भी पाठकों के सामने रखती है।

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