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ससुर ने नहीं दी घोड़ी, बिना दुल्हन वापस लौटी बारात, 350 साल बाद खत्म हुआ दो गांवों का विवाद

Madhya Pradesh 350 Years of Marriage Alliance Ends: मध्य प्रदेश के दो गांवों के बीच पिछले 350 साल से कोई शादी नहीं हुई। जिसकी कहानी काफी दिलचस्प है। हालांकि सदियों पुरानी ये प्रथा अब जाकर टूट गई है।
10:12 AM May 28, 2024 IST | Sakshi Pandey
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Madhya Pradesh 350 years of Marriage Clash: शादियों में बारातियों के बीच अनबन की खबरें तो अक्सर सुनने को मिलती हैं। मगर क्या आपने कभी सुना है कि नेग में घोड़ी ना मिलने से नाराज दूल्हा बारात लेकर वापस चला जाए और दूल्हा-दुल्हन पूरी जिंदगी अलग-अलग रहें। ये कहानी 350 साल पुरानी है। जी हां, मध्य प्रदेश के दो गांवों में हुआ 350 साल पुराना विवाद अब जाकर खत्म हुआ है। सदियों बाद दोनों गांव के बीच में सात फेरों का रिश्ता जुड़ा है। तो आइए जानते हैं पूरी कहानी विस्तार से...

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क्या है कहानी?

दरअसल ये कहानी मध्य प्रदेश गंगवाना और अनंतपुरा गांव की है। एमपी के गंगापुर जिले में स्थित इन दोनों गांवों में पिछले 350 साल से शादी का बंधन नहीं जुड़ा था। सदियों से चली आ रही किवदंतियों के अनुसार 350 साल पहले बाबा परशुराम की शादी अनंतपुरा के एक घर में हुई थी। शादी के बाद तनी खुलाई की रस्म होती थी। हालांकि तनी खुलाई के बदले में बाबा परशुराम ने ससुर से सामने बाड़े में बंधी घोड़ी मांग ली। ससुर ने घोड़ी देने से मना कर दिया। बस फिर क्या था, बाबा परशुराम दुल्हन को लिए बिना ही गंगवाना वापस लौट गए।

बाबा परशुराम का प्रण

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स्थानीय लोगों की मानें तो बाबा परशुराम और उनकी दुल्हन पूरी जिंदगी अलग-अलग रहे। शादी के 7 साल बाद भी विदाई ना होने पर दुल्हन के पिता ने बेटी को महवा तहसील के गांव उकरूंद भेजने का फैसला किया। हालांकि रास्ते में उसे बाबा परशुराम मिल गए। दुल्हन ने बाबा परशुराम से गुजारिश की कि मेरे पिता जी मुझे उकरूंद गांव के निवासी के साथ भेज रहे हैं लेकिन मेरी शादी आपसे हुई है। ऐसे में बाबा परशुराम ने कहा कि तनी खुलाई के बदले जब तक आपके पिताजी मुझे घोड़ी नहीं देते मैं आपको नहीं अपना सकता। मगर उन्होंने लड़की की इजाजत के बिना उसे ले जाने से मना कर दिया और लड़की को फिर से उसके मायके भेज दिया। इसके बाद से कभी दोनों गांवों के बीच कोई शादी नहीं हुई।

350 साल बाद टूटा रिवाज

गंगवाना और अनंतपुरा गांव के बीच 350 साल पुराना विवाद अब खत्म हो चुका है। 23 मई को महेंद्र मीना के बेटे महेश चंद्र मीना ने अनंतपुरा गांव की  एक लड़की से शादी की। वहीं विदाई के दौरान तनी खुलाई की रस्म में महेश चंद्र मीना को ससुराल पक्ष से घोड़ी भी मिली। इससे बाबा परशुराम का प्रण पूरा हो गया और अब दोनों गांवों में विवाह संबंध जुड़ गया है।

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