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गर्लफ्रेंड को किसिंग या गले लगाना क्राइम है या नहीं? पढ़ें मद्रास हाईकोर्ट का अहम फरमान

Sexual Harasmsent Case Verdict: यौन शोषण से जुड़े एक केस में अहम फैसला आया है, जो देशभर के प्रेमी जोड़ों के लिए काफी अहम साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर मामला क्या है और क्या फैसला मद्रास हाईकोर्ट ने दिया है।
11:23 AM Nov 13, 2024 IST | Khushbu Goyal
Madras High Court
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High Court Sexual Harasmsent Case Verdict: मद्रास हाईकोर्ट ने आज यौन शोषण केस में अहम फैसला सुनाया। बेंच ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि गर्लफ्रेंड को किस करना या हग करना क्राइम की कैटेगरी में आता है या नहीं। मामला साल 2022 का है, जिसमें अब 2 साल बाद फैसला लिया। हाईकोर्ट बेंच ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने आदेश दिया और कहा कि गर्लफ्रेंड को किस करना या हग करना किसी तरह क्राइम नहीं है। यह स्वाभाविक है कि जब 2 लोग एक दूसरे के करीब होते हैं या रिश्ते में होते हैं तो वे बातचीत करते हुए अपने भाव जताने के लिए गले लगा लेते हैं। ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है और प्यार के रिश्ते में तो यह स्वाभाविक है। इसलिए यह अपराध नहीं है।

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यह था मामला

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता का नाम संथन गणेश है। उसके खिलाफ ऑल वुमन पुलिस स्टेशन ने FIR दर्ज की थी। संथन ने याचिका में बताया कि वह 13 नवंबर 2022 को अपनी गर्लफ्रेंड से मिला था। उनके बीच बातचीत हुई और फिर उसने गर्लफ्रेंड को गले लगाकर चूम लिया। प्रेमिका नाराज हो गई तो उसने सॉरी मांग ली, लेकिन घर जाकर उसने इस बारे में अपने माता-पिता को बताया। इस बीच उसने प्रेमिका से शादी करने की बात कही तो उसने शादी करने से मना कर दिया। साथ ही उस पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करा दिया। इस केस में संथन को हाईकोर्ट ने राहत दी है। उसके खिलाफ दर्ज केस रद्द करा दिया और कहा कि कोई क्राइम केस नहीं बनता। किसी कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं है।

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भावों की अभिव्यक्ति है

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस आनंद वेंकटेश ने केस की सुनवाई की। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि IPC की धारा 354-A (1) (i) इस केस में लागू होती है। धारा के तहत यौन शोषण जैसा अपराध पुरुष की ओर से शारीरिक संपर्क बनाने पर होता है। जब लड़का-लड़की किशो अवस्था में होते हैं और उनके बीच प्रेम प्रसंग है तो गले लगाना और किस करना स्वाभाविक है। इसे अपराध नहीं माना जा सकता है, स्वाभाविक भावों की अभिव्यक्ति है।

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Tags :
High Court Newsmadras High courtSexual Harassment
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