होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

डॉक्टर की लापरवाही से बेटे की मौत, 16 साल बाद पिता को मिला न्याय, अब अस्पताल को देना पड़ेगा मुआवजा

NCDRC Court Order : महाराष्ट्र के अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही से एक लड़के की जान चली गई थी। इस मामले में पिता को 16 साल के बाद न्याय मिला। राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने अस्पताल और डॉक्टर पर 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश सुनाया।
08:47 PM Apr 27, 2024 IST | Deepak Pandey
NCDRC Court Order
Advertisement

Medical Negligence : धरती पर डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। अगर डॉक्टर नहीं होते हैं तो आज लोगों का इलाज संभव नहीं होता और संकट में मानव जीवन पड़ जाती है। महाराष्ट्र के अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही से एक लड़के की मौत हो गई थी। इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने डॉक्टर और अस्पताल पर 10 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया।

Advertisement

अक्टूबर 2007 में परशुराम लांडगे के बेटे देवानंद को सांप ने काट लिया था। इस पर परिजनों ने बेटे को महात्मा गांधी मिशन अस्पताल में भर्ती कराया। पिता का आरोप है कि अस्पताल ने उनसे जबरन पैसे वसूलने का प्रयास किया। अस्पताल के डॉ. शीनू गुप्ता ने परशुराम लांडगे को बेटे देवानंद को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह उनके अस्पताल में इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते।

यह भी पढ़ें : भैंस पर सवार होकर नामांकन करने पहुंचे ‘यमराज’, लोकसभा चुनाव में दिख रहे अजब-गजब रंग

पिता ने डॉक्टर पर लापरवाही का लगाया आरोप

Advertisement

पिता लांडगे ने बेटे की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टर से इलाज जारी रखने की अपील की। उसके बाद डॉक्टर ने महंगी दवाइयां लिखीं। इस पर लांडगे ने अपनी पत्नी के सोने के गहने गिरवी रखकर दवाइयां खरीदीं। इसके बाद डॉक्टर ने पिता से अस्पताल में एडमिशन चार्ज जमा करने कहा। जब तक पिता ने पैसे जमा नहीं किए तब तक उनके बेटे का इलाज शुरू नहीं हुआ। आरोप है कि देरी से इलाज शुरू होने से देवानंद की मौत हो गई।

राज्य उपभोक्ता अदालत में मिली राहत

परशुराम लांडगे ने पहले जिला उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज की, लेकिन कोर्ट ने साल 2017 में उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता अदालत में मामले की सुनवाई हुई। राज्य उपभोक्ता अदालत ने देवानंद की मौत का जिम्मेदार डॉ. शीनू गुप्ता और अस्पताल को माना और उन्हें पिता को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा था।

यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे के बाद ननद-भौजाई आमने-सामने, बारामती सीट पर होगा दिलचस्प मुकाबला

NCDRC ने पिता के पक्ष में सुनाया फैसला

इसके बाद अस्पताल ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में राज्य उपभोक्ता अदालत के फैसले को चुनौती दी। एनसीडीआरसी ने अस्पताल की याचिका को खारिज करते हुए राज्य उपभोक्ता अदालत के आदेश को बरकरार रखा। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता के बेटे के इलाज में घोर लापरवाही की गई, जिससे उसकी मौत हो गई।

Open in App
Advertisement
Tags :
maharashtra newsmaharashtra news hindi
Advertisement
Advertisement