मेजर राधिका सेन कौन? जिसने UN में जीता सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार, चमका भारत का नाम
Major Radhika Sen: सयुंक्त राष्ट्र के पीस कीपिंग मिशन में भारत का हमेशा से अहम योगदान रहा है। कई भारतीय सैनिक इस मिशन का हिस्सा हैं। मगर आज हम बात करेंगे मेजर राधिका सेन की, जिन्हें लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर 2023 के पुरस्कार से नवाजा गया है। राधिका संयुक्त राष्ट्र में सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला अधिकारी हैं।
कांगो में किया नाम रोशन
बता दें कि राधिका सेन को दक्षिण अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक मिशन सौंपा गया था। राधिका इस मिशन से इमोशनली जुड़ी हुई थीं। कई चुनौतियों और खतरों का सामना करने के बाद राधिका कांगो के लोगों का भरोसा जीतने में कामयाब रहीं। तो आइए जानते हैं राधिका सेन के बारे में विस्तार से।
मंडी में हुआ था जन्म
राधिका सेन हिमाचल प्रदेश के मंडी से ताल्लुक रखती हैं। राधिका सेन का जन्म 1993 में हुआ था और उन्होंने सेंट मैरी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। आईआईटी पास करने के बाद राधिका 2016 में भारतीय सेना का हिस्सा बन गईं। उनकी ट्रेनिंग चेन्नई ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी में हुई, जिसके बाद उन्हें श्रीनगर में पोस्टिंग मिली। भारतीय सेना में रहते हुए राधिका ने लेह, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में सेवाएं दीं।
4 भाई और 8 बहनो का परिवार
बता दें कि मंडी के सुंदरनगर की रहने वाली राधिका के माता-पिता अध्यापक थे। राधिका के पिता ओंकार सेन एनआईटी हमीरपुर के प्रोफेसर और माता निर्मला सेन कथोग स्कूल की प्रिसिंपल रह चुकी हैं। राधिका की पूरी फैमिली में चार भाई और आठ बहनें हैं। राधिका की सभी बहने बड़े पदों पर आसीन हैं। वहीं राधिका सेन पर सभी को गर्व है।
कांगो में राधिका का मिशन
गौरतलब है कि राधिका सेन को मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो गणराज्य में बतौर भारतीय बटालियन की कमांडर के रूप में तैनात किया गया था। उनकी टीम में 20 महिला और 10 पुरुष सैनिक थे। सभी का काम कांगो के लोगों से बातचीत करके उनकी मुश्किलों को सुलझाना था। राधिका की अगुवाई में पूरी टीम ने महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और लैंगिक समानता को बेहतर बनाने का प्रयास किया। राधिका की टीम काफी हद तक अपने मिशन में सफल रही।