मणिशंकर अय्यर ने माफी मांगी; भारत-चीन युद्ध को लेकर ऐसा क्या दिया था बयान? जो BJP ने उड़ाई धज्जियां
Mani Shankar Aiyar Apologised: मणिशंकर अय्यर ने 1962 में हुए भारत चीन युद्ध को लेकर एक ऐसा बयान दिया कि भाजपा ने उनकी खूब धज्जियां उड़ाईं। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बयान पर विवाद बढ़ता देखकर मणिशंकर ने माफी मांग ली है। वहीं कांग्रेस ने मणिशंकर के बयान से पल्ला झाड़ते हुए खुद को विवाद से अलग कर लिया। भाजपा ने मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी को संशोधनवाद का एक निर्लज्ज प्रयास करार दिया था। बता दें कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने एक प्रोग्राम में कहा था कि अक्टूबर 1962 में चीनियों ने 'कथित' तौर पर भारत पर आक्रमण किया। यह टिप्पणी करते हुए वे भाजपा के निशाने पर आ गए और भाजपा ने इस विवादास्पद टिप्पणी की आलोचना की।
भाजपा ने चीन के प्रति कांग्रेस का रवैया उजागर किया
भाजपा ने मणिशंकर अय्यर पर कमेंट करते हुए कहा कि मणिशंकर ने FCC में नेहरूज फर्स्ट रिक्रूट्स नामक किताब के विमोचन के दौरान बोलते हुए 1962 में चीनी आक्रमण को 'कथित' बताया। नेहरू ने UNSC में स्थायी सीट पर भारत का दावा चीनियों के पक्ष में छोड़ दिया। राहुल गांधी ने एक गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर किए। राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से धन स्वीकार किया और चीनी कंपनियों के लिए बाजार की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट प्रकाशित की। उनके आधार पर सोनिया गांधी की UPA सरकार ने चीनी सामान के लिए भारतीय बाजार खोल दिया। MSME को नुकसान पहुंचाया और अब कांग्रेस नेता अय्यर चीनी आक्रमण को सफेद करना चाहते हैं, जिसके बाद चीनियों ने 38,000 वर्ग किलोमीटर लंबे भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया। आखिर कांग्रेस वाले चाहते क्या हैं?
कांग्रेस ने पेश की अपनी तरफ से सफाई
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार रात ट्वीट किया कि वरिष्ठ पार्टी नेता मणिशंकर ने गलती से 'कथित आक्रमण' शब्द का इस्तेमाल करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने उनके मूल शब्दों से खुद को अलग कर लिया है। वे क्या सोचते हैं और क्या कहते हैं? यह उनका निजी मामला है, कांग्रेस का इससे कोई लेना-देना नहीं।
मणिशंकर ने अपने बयान में यह सब कहा था?
अय्यर ने था कि अक्टूबर 1962 में चीन ने कथित तौर पर भारत पर आक्रमण किया। कांग्रेस नेता ने उस समय को भी याद किया, जब उन्हें भारतीय विदेश सेवा (IFS) में एंट्री देने से मना कर दिया गया था। जिस दिन ताइवान पर कब्ज़ा हुआ, उसी दिन लंदन में विदेश सेवा की परीक्षाए शुरू हुईं। जब वे खत्म हो गईं तो अखबारों में मेरे वामपंथी होने, कम्युनिस्ट होने का जिक्र किया जाने लगा। जब मैंने परीक्षा पास कर ली और अच्छा प्रदर्शन किया तो अचानक मुझे पता चला कि मुझे किसी भी तरह की एंट्री नहीं मिल रही है।
इसलिए मैंने विदेश मंत्रालय को लिखा कि मुझे अपना जॉइनिंग लेटर नहीं मिला है। मुझे एक टेलीग्राम मिला, जिसमें लिखा था कि आपको यह बताते हुए खेद हो रहा है कि आपको सभी सेवाओं से खारिज कर दिया गया है। मुझे तुरंत समझ आ गया कि मामला क्या है? जैसा कि कुछ लोगों ने कहा, मैंने चीनियों के लिए पैसे जुटाए थे। मैं अपने खाने के लिए भी पैसे नहीं जुटा पाया। मैं चीनियों के लिए पैसे कैसे जुटा सकता था? उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा।