मणिपुर में महिलाओं को बिना कपड़ों के घूमाने का पुराना वीडियो आया सामने, सरकार पर हमलावर हुई विपक्ष
Manipur Violence: मणिपुर में तीन महिलाओं को सड़कों पर बिना कपड़ों के घुमाने का वीडियो सामने आया है। हालांकि वीडियो दो महीने पुराना बताया जा रहा है, लेकिन बुधवार को वीडियो के सामने आने के बाद पहाड़ी राज्य में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि महिलाओं के बिना कपड़ों के सड़कों पर परेड कराने का वीडियो हिंसा भड़कने के एक दिन बाद यानी चार मई का है। घटना कांगपोकपी जिले की बताई जा रही है।
मामले में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि तीन महिलाओं को भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। तीनों महिलाएं पांच लोगों के एक समूह का हिस्सा थीं, जिनका एक दिन पहले हुई हिंसा के बाद भीड़ ने अपहरण कर लिया था। कहा जा रहा है कि भीड़ ने कथित तौर पर महिलाओं में से एक के साथ सामूहिक बलात्कार किया और जब उसके भाई ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो उसकी हत्या कर दी गई।
मुख्यमंत्री बोले- घटना मानवता के खिलाफ अपराध
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घटना की आलोचना की और इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वीडियो का स्वत: संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने पुलिस से अपराधियों को गिरफ्तार करने को कहा और अगर पुलिस अधिकारी त्वरित कार्रवाई करने में लापरवाही बरतते पाए गए तो उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।
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महिलाओं को नग्न होने के लिए मजबूर किया गया
पुलिस में दर्ज शिकायत में कांगपोकपी जिले में घटना की तारीख 4 मई बताई गई है। हालांकि, एफआईआर 21 जून को थौबल जिले में दर्ज की गई थी। अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया था। एफआईआर में कहा गया है कि तीनों महिलाओं को शारीरिक रूप से अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और भीड़ के सामने नग्न कर दिया गया।
शिकायत के अनुसार, मणिपुर में हिंसा भड़कने के एक दिन बाद 4 मई को, एके राइफल्स, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस लगभग 800-1,000 लोग मणिपुर के एक गांव में घुस गए। उन्होंने कथित तौर पर दुकानें लूटीं, संपत्तियों और घरों में तोड़फोड़ की। शिकायत के अनुसार, पांच ग्रामीण (दो पुरुष और तीन महिलाएं) पास के जंगल में भागने में सफल रहे, लेकिन करीब 2 किमी दूर भीड़ ने उनका अपहरण कर लिया।
शिकायत के मुताबिक, भीड़ ने पहले एक आदमी की हत्या की और बाद में तीन महिलाओं को नग्न होने के लिए मजबूर किया। 19 वर्षीय एक लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और जब उसके भाई ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद महिलाएं भाग निकलीं।
विपक्ष ने की घटना की निंदा
इस घटना पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार पर सवाल उठाया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने लोगों से परेशान करने वाले वीडियो शेयर किए बिना इस मुद्दे के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।
पार्टी ने एक बयान में कहा, “आप मणिपुर के असहाय लोगों के इस भयानक और निरंतर उत्पीड़न की निंदा करती है। आप सभी नागरिकों से अनुरोध करती है कि वे असहाय महिलाओं के भयानक वीडियो शेयर करने से बचें। जनता को वीडियो शेयर किए बिना इस जघन्य कृत्य के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “मणिपुर की घटना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती।”
तृणमूल कांग्रेस ने भी घटना की निंदा की
तृणमूल कांग्रेस ने भी घटना की निंदा की और पीएम मोदी से मणिपुर हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने को कहा। टीएमसी ने एक ट्वीट में कहा, “अगर हम मणिपुर की महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित नहीं कर सकते तो भाजपा के नारी शक्ति के सभी दावे खोखले हैं। एक बार फिर, हम पीएम से अपनी 78 दिनों की चुप्पी तोड़ने और मणिपुर के लोगों के साथ खड़े होने का आग्रह करते हैं।”
प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंखें मूंदकर क्यों बैठे हैं? क्या ऐसी तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं? (https://kumorisushi.com/)
आदिवासी संगठन ने की कार्रवाई की मांग
इस बीच, एक प्रमुख आदिवासी समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने केंद्र और राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से इस भयावह घटना पर ध्यान देने का आग्रह किया है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आदिवासी समूह ने एक विज्ञप्ति में कहा, “इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना अपराधियों के उस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करने के फैसले से और बढ़ गई है, जो पीड़ितों की पहचान दर्शाता है।” कहा जा रहा है कि कुकी आदिवासी आज चुरचांदपुर में प्रस्तावित विरोध मार्च के दौरान इस मुद्दे को भी उठाने की योजना बना रहे हैं।
क्या है मणिपुर हिंसा?
मणिपुर में 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क उठी, जो मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित किया गया था। तब से अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और कई अन्य घायल हुए हैं। घरों में तोड़फोड़ की गई, दुकानें लूट ली गईं और मणिपुर के कुछ हिस्सों में अशांति देखी गई।
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