पत्नी से रेप...1 जुलाई से बदल जाएंगे नियम, सलाखों के पीछे पहुंचा देगी जबरदस्ती
Marital Rape In New Law : मैरिटल रेप को लेकर अक्सर नए-नए मामले सामने आते रहते हैं। कई बार पुरुष की कमी नजर आती है तो कई बार महिला साथी की। जब मामले कोर्ट में जाते हैं तो कई बार फैसले को लेकर भी काफी असमंजस जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। लेकिन 1 जुलाई से अब ऐसा नहीं होगा। सरकार ने तय कर दिया है कि मैरिटल रेप किसे माना जाएगा और किसे नहीं। साथ ही इस मामले में क्या और कितनी सजा होगी, यह भी तय कर दिया गया है।
नए कानून में तय की सजा
सरकार ने 1 जुलाई से शुरू लागू होने जा रहे नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मैरिटल रेप का उल्लेख किया है। कड़कड़डूमा कोर्ट में एडवोकेट और तलाक मामलों के एक्सपर्ट मनीष भदौरिया ने बताया कि BNS की 67वीं धारा में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस मामले में आरोपी पति को कितने साल की सजा हो सकती है। नए नियम के अनुसार:
- अगर कोई महिला पति से अलग रह रही है और पति उसके साथ उसकी मंजूरी के बिना शारीरिक संबंध बनाता है तो यह रेप की श्रेणी में आएगा।
- इस मामले में जरूरी है कि महिला लिखित रूप से इस बात को पहले ही बता दे कि वह पति से अलग रह रही है। इस मामले में वह स्थानीय पुलिस थाने में भी लिखकर दे सकती है।
- अलग रह रही पत्नी के साथ अगर पति उसकी मंजूरी के बिना शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे 2 साल से 7 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सहमति से संबंध रेप नहीं
कानून के मुताबिक अगर पति पत्नी के साथ रहता है और आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप की श्रेणी में नहीं आएगा। हालांकि इसके लिए पत्नी का बालिग होना जरूरी है। इसका BNS की धारा 63 के अपवाद 2 में जिक्र किया गया है।
क्या हैं नए कानून
सरकार 1 जुलाई से 3 नए कानून ला रही है। 30 जून रात 12 बजे से आईपीसी कानून खत्म हो जाएगा। जो नए 3 कानून प्रभाव में आएंगे इनके नाम भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 हैं। इन तीनों कानूनों में आपराधिक कानूनों में जांच, ट्रायल और अदालती कार्यवाहियों में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। माना जा रहा है कि इन कानूनों के अमल में आने से न्याय मिलने में तेजी आएगी। 1 जुलाई रात 12 बजे से देश में जो भी आपराध होंगे, उनमें कार्रवाई नए कानूनों के तहत होगी। हालांकि इससे पहले के मामले पूराने कानून के तहत चलते रहेंगे।
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