जीतन सहनी हत्याकांड: बिहार पुलिस की जांच पर क्यों उठे सवाल? पूर्व IPS ने DGP को दिखाए सबूत
Mukesh Sahani Father Jitan Sahani Murder Case: विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई थी। एक तरफ जहां बिहार पुलिस मामले में खुलासा करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ मुकेश साहनी की पार्टी पुलिस की जांच पर संदेह जता रही है। VIP के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली पुलिस के पूर्व जॉइंट कमिश्नर बीके सिंह ने पुलिस की जांच को लेकर कई सवाल उठाये हैं। उन्होंने दरभंगा पुलिस पर जांच को भटकाने का आरोप लगाया है।
जांच को भटकाने की कोशिश
VIP के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी ब्रज किशोर सिंह ने इस बाबत बिहार के डीजीपी आर एस भट्ठी से मुलाकात की। न्यूज 24 से बात करते हुए बी के सिंह ने बताया कि जिस तरह से मीडिया में पुलिस अधिकारी का बयान आ रहा है उससे पता चलता है की जांच की दिशा को भटकाने की कोशिश हो रही है। इस हत्या मामले में पुलिस द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान से जांच की दिशा भटकाने की आशंका है। जांच अभी तक प्रारंभिक अवस्था में है।
मुकेश सहनी के भतीजे ने डीजीपी को लिखा पत्र
बीके सिंह का कहना है कि मीडिया में 10 जुलाई की रात का सीसीटीवी फुटेज चलाया जा रहा है, जिसमे बताया गया है कि 10 से 15 लोग घटनास्थल के समीप लाठी डंडे के साथ खड़े हैं। इनमें से कुछ लोगों की पहचान करके उनसे पूछताछ की जा रही है। बीते दिन मुकेश सहनी के भतीजे ने डीजीपी को लिखित आवेदन भी दिया था। इसमें सवाल उठाया गया है कि मीडिया में कुछ कागजात दिखाये जा रहे है। क्या ये कागजात तालाब से बरामद बॉक्स के अंदर से मिले है? अगर हां तो यह किसने दिया और देने वाले का मकसद कही जांच को भटकाने की मंशा तो नहीं है? इसकी जांच होनी चाहिए। अगर ये कागजात बॉक्स के अंदर से नहीं मिले, तो फिर इन्हें कौन और किस कारण से बांट रहा है?
जांच में जल्दबाजी सही नहीं
बीके सिंह ने कहा की अभी तक पुलिस के अनुसार सिर्फ एक अपराधी पकड़ा गया है। अपराध में उपयोग किये गए हथियार की भी बरामदगी नहीं हो पायी है। फिर भी लगता है कि जांचकर्ता जल्दबाजी में जांच को बंद करना चाहते हैं। अभी तक हत्या के अन्य आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है। क्या एक मात्र अपराधी की बातों को मानकर जांच के निष्कर्ष पर पहुंचना सही है?
ड्यंत्र की संभावना
बीके सिंह के अनुसार जांच के दौरान सबूत इक्ट्ठे किए जाएं और जांच पूरी होने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाए। अभी सबूत बटोरे जा रहे हैं। ऐसे में निष्कर्ष पर शीघ्र पहुंच जाना जल्दबाजी है। इस मामले में किसी षड्यंत्र की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
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