कैसा रहा है नायडू, नीतीश और मोदी का साथ? एक ने मांग लिया था इस्तीफा तो दूसरे ने बदल ली थी राह
Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के परिणाम हमारे सामने हैं। साफ दिख रहा है कि भाजपा अकेले सरकार नहीं बना पा रही लेकिन एनडीए के साथी दलों के साथ उसके पास पर्याप्त संख्या है। लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर भगवा दल को अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करना है तो उसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का साथ चाहिए होगा। इन दोनों को मिली सीटों की बदौलत भाजपा केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने वाली है। बता दें कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 272 सीटों की जरूरत होती है। भाजपा इस बार 240 सीटें ही जीत पाई है। लेकिन एनडीए की सीटों का आंकड़ा 292 का है।
अभी तक तो नीतीश और नायडू दोनों ही भाजपा के साथ रहने की बात कह रहे हैं। लेकिन यह साथ कब तक बरकरार रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। यह हम नहीं कह रहे बल्कि दोनों का नरेंद्र मोदी के साथ इतिहास कह रहा है। दोनों नेता एनडीए से बाहर हो चुके थे। दोनों ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वापसी का फैसला किया था। दोनों नेताओं के नरेंद्र मोदी के साथ संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। नीतीश की नाराजगी तो ऐसी थी कि उन्होंने एनडीए छोड़ विपक्षी महागठबंधन इंडिया की नींव रख डाली थी। हालांकि, चुनाव से ऐन पहले वह फिर से एनडीए का हिस्सा बन गए थे। वहीं, नायडू ने तो एक बार मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया था।
कैसे रहे नीतीश और नरेंद्र मोदी के रिश्ते?
नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के संबंध काफी उलझे हुए रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में नीतीश ने मोदी को चुनाव प्रचार के लिए बिहार नहीं आने दिया था। इसके बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश ने ऐसा ही रुख अपनाया था। दोनों के संबंधों की खटास खुलकर 2013 में सामने आई। सितंबर 2013 में भाजपा ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया तो नीतीश इससे नाराज हो गए थे। दरअसल, वह खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। जून 2013 में 17 साल भाजपा के साथ रहने के बाद वह एनडीए से बाहर हो गए थे। चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले नीतीश अब एक बार फिर एनडीए में हैं लेकिन कब तक रहेंगे ये समय ही बताएगा।
मोदी से इस्तीफा मांग चुके चंद्रबाबू नायडू
बात करें चंद्रबाबू नायडू और नरेंद्र मोदी के रिश्तों की तो यहां भी उतार-चढ़ाव खूब देखने को मिले हैं। साल 2018 तक नायडू की टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) एनडीए में थी। लेकिन अलग होने के बाद उनकी पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव ले आई थी। हालांकि, यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था। साल 2019 के चुनाव के दौरान भी दोनों के बीच कई बार आरोप-प्रत्यारोप का तीखा दौर चला था। मोदी ने नायडू को 'यू-टर्न बाबू' तक कह दिया था। 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से इस्तीफा मांगने वाले पहले नेताओं में से एक थे। लेकिन नीतीश की तरह ही चुनाव से ठीक पहले वह भी एनडीए में फिर से शामिल हो गए थे।
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