होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

'5 बार नमाज पढ़ता है तो...' फैसले पर उठे सवाल, ओडिशा हाई कोर्ट ने बदली है रेपिस्ट और हत्यारे की फांसी की सजा

Odisha High Court Decision: ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। हाई कोर्ट ने एक रेपिस्ट और हत्यारे की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। उसे निचली अदालत से फांसी की सजा हुई थी। हत्यारे ने बच्ची के साथ पहले रेप किया था, बाद में उसको मौत के घाट उतार दिया।
04:49 PM Jun 28, 2024 IST | Parmod chaudhary
ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल।
Advertisement

Odisha Death Penalty Case: ओडिशा हाई कोर्ट ने एक रेपिस्ट और किलर की सजा को फांसी से आजीवन कारावास में बदल दिया था। हाई कोर्ट ने दोषी के जेल में 5 बार नमाज पढ़ने को ही सजा बदलने का आधार मान लिया। जो अब सवालों के घेरे में है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार फैसले के खिलाफ प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या 5 बार का नमाजी होना दोषी के सुधरने का सबूत है? क्या इससे दोषी बेहतर इंसान बन गया है की गारंटी मिल जाती है?

Advertisement

बता दें कि दो जजों की पीठ ने 36 साल के आरोपी की सजा को बदलते हुए टिप्पणी की थी कि वह पांच वक्त नमाज पढ़ता है। जिसके आधार पर फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। आरोपी का नाम शेख आसिफ अली है। हाई कोर्ट ने कहा कि दोषी पांच वक्त नमाज पढ़ रहा है। उसने 6 साल की मासूम को रेप के बाद मौत के घाट उतारा है। ये दुर्लभतम मामला भी नहीं है। इसलिए सजा को आजीवन कारावास में बदला जाता है।

यह भी पढ़ें:13 जिंदगियां लीलने वाले हादसे का असली सच, ड्राइवर की झपकी ने उजाड़े कई परिवार; वाहन काट निकाले शव

जस्टिस एसके साहू और जस्टिस आरके पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी अब दंड स्वीकार करने के लिए तैयार है। वह दिन में कई दफा अल्लाह से दुआ मांगता है। ऐसा लगता है कि उसने अल्लाह के सामने सरेंडर कर दिया है। जिससे अब उसके अपराध को दुलर्भतम मामले की श्रेणी में रखना ठीक नहीं है। जिसमें उसे सिर्फ फांसी दी जा सकती है। वकीलों ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए।

Advertisement

कोर्ट ने दो बहनों और परिवार की गरीबी को भी माना आधार

दोनों जजों ने शेख आसिफ अली को रेप और हत्या के मामले में निचली अदालत के आदेशों को बरकरार रखा। दोषी ने 2014 में घिनौना अपराध किया था, तब वह 26 साल का था। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दे। बेंच ने ये भी कहा कि दोषी के परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। गरीब परिवार में दोषी की 63 साल की बूढ़ी मां है। दो अविवाहित बहनें हैं। दोषी मुंबई में पेंटर था, उसके घर में और कोई कमाने वाला नहीं है।

यह भी पढ़ें:मुस्लिम निकली पत्नी, पहले कर चुकी थी शादी; 13 साल बाद हिंदू पति को मिले एक कागज से खुला राज

जजों ने माना कि उसका स्कूल में चरित्र ठीक था। 2010 में मैट्रिक पास की। गरीबी के कारण आगे नहीं पढ़ सका। वह फुटबॉल का भी अच्छा खिलाड़ी रहा है। जेल में उसका व्यवहार ठीक है। मनोचिकित्सक और जेल सुपरिंटेंडेंट से भी उसके बारे में जानकारी ली गई। जजों ने कहा कि उसने जेल में अब तक कोई अपराध नहीं किया है।

Open in App
Advertisement
Tags :
odisha news
Advertisement
Advertisement