आखिर क्यों BJP के बागी हुए भोजपुरी स्टार पवन सिंह, इन 3 कारणों में छिपा है राज?
Why Pawan Singh left BJP: लोकसभा चुनाव 2024 के बीच बीजेपी ने बड़ा कदम उठाते हुए भोजपुरी स्टार पवन सिंह को निष्काषित कर दिया है। पवन सिंह ने 2014 में बीजेपी का हाथ थामा और लगभग एक दशक बाद अब बीजेपी के साथ उनका सफर खत्म हो गया है। पवन सिंह का नाम अब बीजेपी के बागी नेताओं में जुड़ चुका है। तो आइए जानते हैं कि पवन सिंह के इस बगावती अंदाज के पीछे आखिर क्या कारण जिम्मेदार हो सकते हैं?
1.आसनसोल से नाम वापस लेने के पीछे मजबूरी या कुछ और?
2 मार्च 2024 को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी। जिसमें पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट मिला। खुद पवन सिंह ने भी पार्टी का शुक्रिया अदा किया था। मगर 3 मार्च 2024 को पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। हालांकि उन्होंने नाम वापस लेने की वजह सामने नहीं रखी। इसी बीच पश्चिम बंगाल के कैबिनेट मंत्री बाबुल सुप्रियो ने दावा किया कि पवन सिंह ने दबाव में नामांकन वापस लिया है। बाबुल सुप्रियो का कहना था कि बीजेपी ने बिना किसी जांच-पड़ताल के पवन सिंह को आसनसोल से टिकट दे दिया। बाद में पार्टी को पता चला कि पवन सिंह को लेकर बंगाली महिलाओं में गहरा विरोध है क्योंकि पवन सिंह अपने गाने में बंगाली महिलाओं का अपमान कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी ने पवन सिंह से नाम वापस लेने का दबाव डाला। इसी वजह से पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ा।
2. आरा सीट बनी वजह?
पवन सिंह के नाम वापस लेने की वजह अन्य सीटें भी हो सकती हैं। खबरों की मानें तो पवन सिंह पश्चिम बंगाल की बजाए यूपी-बिहार की भोजपुरी बेल्ट से टिकट चाहते थे। ऐसे में उनकी नजर बिहार की आरा लोकसभा सीट पर थी लेकिन वहां पर बात नहीं बनीं। आरा से बीजेपी ने आरके सिंह को टिकट दे दिया। पवन सिंह को यहां से भी निराशा हाथ लगी।
3. बलिया पर टिकी नजर
रिपोर्ट्स के अनुसार आरा के बाद पवन सिंह ने यूपी के बलिया से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। लेकिन वहां भी पवन सिंह की दाल नहीं गल सकी। बीजेपी ने बलिया से भी प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसी के बाद 10 अप्रैल को पवन सिंह ने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करके सभी को हैरान कर दिया।
मनोज तिवारी ने की मनाने की कोशिश
पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने की खबर बीजेपी के लिए बड़ा झटका थी। हालांकि पार्टी के नेताओं को उम्मीद थी कि पवन सिंह अपना नाम वापस ले लेंगे। बीजेपी नेता और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी ने भी पवन सिंह को मनाने की कोशिश की। मनोज तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि पवन सिंह उनके छोटे भाई हैं और वो उनकी बात जरूर समझेंगे। इसके जवाब में पवन सिंह ने भी मनोज तिवारी को अपना बड़ा भाई बताया। मगर पवन सिंह ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें काराकाट को सौंप दिया है और वो मां से आशीर्वाद ले चुके हैं इसलिए पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पवन सिंह ने काराकाट से पर्चा दाखिल किया और उनका नामांकन भी स्वीकार कर लिया गया। लिहाजा बीजेपी ने भी पवन सिंह के लौटने की उम्मीद छोड़ दी और उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया।