Pilot Baba कैसे बनें कपिल सिंह? चीन-पाकिस्तान पर बरसाए बम; जमीन पर लैंड कराया खराब हुआ फाइटर जेट
Pilot Baba Biography: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर रहे पायलट बाबा ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। 86 वर्षीय पायलट बाबा ने बीते दिन दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली। भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट उड़ाने वाले पायलट अचानक से बाबा क्यों बन गए? उन्होंने क्यों नौकरी छोड़कर वैराग धारण कर लिया? यही नहीं पायलट बाबा ने महाभारत के अश्वत्थामा से भी मिलने का दावा किया है। तो आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से...
बिहार में हुआ जन्म
15 जुलाई 1938 को बिहार के सासाराम में जन्में पायलट बाबा का असली नाम कपिल सिंह था। सासाराम में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) Msc की डिग्री हासिल की। 1957 में उन्हें भारतीय वायुसेना (IAF) में कमीशन कर लिया गया। कपिल सिंह ने अपनी बहादुरी के दम पर जल्दी-जल्दी प्रमोशन लिया और IAF में पायलट बन गए।
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शौर्य चक्र से हुए सम्मानित
1962 में भारत-चीन युद्ध में कपिल सिंह ने बतौर विंग कमांडर फाइटर जेट उड़ाए। 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने आसमान से जमकर बम बरसाए थे। इस पराक्रम के लिए उन्हें शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया गया था। 33 साल की उम्र में कपिल सिंह IAF से रिटायर हो गए और अध्यात्म का रुख कर लिया। इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है।
33 साल की उम्र में लिया सन्यास
पायलट बाबा के अनुसार फाइटर जेट उड़ाते समय अचानक से विमान में कुछ खराबी आ गई और जेट उनके कंट्रोल से बाहर हो गया। पायलट बाबा ने अपने गुरु हरि बाबा को याद किया। उन्हें गुरु के पास होने का अहसास हुआ और उन्होंने बिना किसी परेशानी के फाइटर जेट को नीचे लैंड करवा दिया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसके बाद ही उन्होंने IAF की नौकरी छोड़ कर साधु बनने का फैसला कर लिया।
अश्वत्थामा से हुई मुलाकात
कपिल सिंह ने तिब्बत के राजेश्वरी मठ में दिक्षा हासिल की। इस दौरान उन्होंने 7 साल में हिमालय की 1600 मील की यात्रा की। उन्होंने अपनी किताब में इस बात का खुलासा किया कि हिमालय में उनकी मुलाकात महाभारत के अश्वत्थामा से हुई थी। वो जनजातियों के बीच रहते हैं। बता दें कि अश्वत्थामा को 7 चिरंजीवियों में से एक माना जाता है।
पायलट बाबा की किताबों के नाम
पायलट बाबा ने हरिद्वार, नैनीताल और उत्तरकाशी जैसी कई जगहों पर आश्रम की स्थापना की। साथ ही नेपाल और जापान में भी पायलट बाबा का आश्रम मौजूद है। कैलाश मानसरोवर, डिस्कवर द सीक्रेट्स ऑफ हिमालय और पर्ल्स ऑफ विजडम जैसी कुछ किताबों पायलट बाबा ने अपने जीवन की कई कहानियां लिखीं हैं।
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